विक्रम लैंडर के मलबे की खोल में लगे चेन्नई के शनमुग सुब्रमण्यम की मेहनत आखिरकार तीन महीने बाद सफल हो गया। मदुरई के रहने वाले शनमुग सुब्रमण्यम ने नासा की तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए विक्रम लैंडर के मलबे को ढूंढ निकाला। बता दें कि चंद्रमा की सतह से टकराने के बाद से विक्रम लैंडर का संपर्क इसरो से टूट गया था।
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बताया जा रहा है कि शनमुग सुब्रमण्यम ने नासा के मून लूनर रिकॉनेसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) द्वारा 17 सितंबर, 14,15 अक्टूबर और 11 नवंबर को ली गई तस्वीरों का हफ्तों तक अध्ययन किया और मलबे की पहचान कर ली। मलबे की पहचान करने के बाद शनमुग ने अपनी खोज के बारे में नासा को लिखा था। इसके बाद नासा ने इसके अध्ययन में कुछ वक्त लगाया और उनकी खोज की पुष्टि की।
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नासा के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट (एलआरओ मिशन) जॉन केलर ने शनमुग को लिखा कि धन्यवाद कि आपने हमें विक्रम लैंडर के मलबे की खोज के बारे में ईमेल किया। हमारी टीम इस बात की पुष्टि करती है कि लैंडिंग के स्थान की पहले और बाद की तस्वीरों में अंतर है। जानकारी मिलने के बाद टीम ने उस इलाके की और छानबीन की और इसके आधार पर घोषणा की जाती है कि नासा और एएसयू पेज में आपको इस खोज के लिए श्रेय दिया जाता है।
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मैकेनिकल इंजीनियर और कंप्यूटर प्रोग्रामर शनमुग सुब्रमण्यम हैं, जो लेनोक्स इंडिया टेक्नोलॉजी सेंटर चेन्नई में काम करते हैं। शनमुग इससे पहले कॉग्निजेंट में प्रोग्राम एनालिस्ट के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
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