नए कांग्रेस अध्यक्ष के सामने चुनौतियों का अंबार

नए कांग्रेस अध्यक्ष के सामने चुनौतियों का अंबार

नए कांग्रेस अध्यक्ष के सामने चुनौतियों का अंबार
Modified Date: November 29, 2022 / 08:40 pm IST
Published Date: October 26, 2022 6:39 pm IST

(संजीव चोपड़ा)

नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस के नए अध्यक्ष का कार्यभार बुधवार को संभालने वाले मल्लिकार्जुन खरगे की इस जिम्मेदारी को अगर ‘कांटों का ताज’ कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि एक ओर उन्हें पार्टी के चुनावी प्रदर्शन में सुधार लाना है वहीं उन्हें आम लोगों में पार्टी की पकड़ को भी मजबूत बनाने की चुनौती का सामना करना है।

उनका कार्यकाल ऐसे समय पर शुरू हुआ है जब कांग्रेस चुनावी रूप से सबसे खराब स्थिति में है और उसे लगातार दो लोकसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा 2020 से पार्टी करीब 10 चुनाव हार चुकी है। साथ ही उसे विपक्ष में भी क्षेत्रीय दलों से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है।

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खरगे को पार्टी संगठन को पुनर्जीवित कर कांग्रेस को चुनावी लड़ाई के लिए तैयार करना है वहीं राज्यों में गुटबाजी दूर करने पर भी ध्यान देना होगा।

खरगे के पार्टी अध्यक्ष बनने के साथ ही 137 साल पुरानी पार्टी का इरादा, एक परिवार द्वारा संचालित संगठन की छवि को दूर करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘‘वंशवादी राजनीतिक दलों’’ पर हमला बोलते हुए हाल ही में आरोप लगाया था कि ऐसे दल लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।

खरगे के सामने विपक्षी दलों के बीच कांग्रेस का प्रभुत्व बहाल करने की चुनौती है, वहीं उदयपुर में मई में आयोजित चिंतन शिविर में पार्टी द्वारा घोषित सुधारों को लागू करने की भी जिम्मेदारी है।

जगजीवन राम ने 1969 में कांग्रेस का नेतृत्व किया था और उनके बाद 50 साल में यह पद संभालने वाले खरगे दूसरे दलित नेता हैं। 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति कांग्रेस का अध्यक्ष बना है।

खरगे कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) प्रमुख भी नियुक्त किए गए। लोकसभा में वर्ष 2014 से 2019 तक खरगे कांग्रेस के नेता रहे। जून, 2020 में खरगे कर्नाटक से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए और हाल तक उच्च सदन में विपक्ष के नेता थे।

खरगे ने ऐसे समय में कार्यभार संभाला है जब कांग्रेस अपने दम पर सिर्फ दो राज्यों राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में सत्ता में है और तत्काल उसे हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरना है।

खरगे के सामने तात्कालिक चुनौती हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव है। दोनों राज्यों में उसे आक्रामक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) से मुकाबला करना है।

उन्हें अगले साल छत्तीसगढ़, राजस्थान और अपने गृह राज्य कर्नाटक सहित नौ विधानसभा चुनावों के लिए तैयार रहना होगा। कर्नाटक में वह नौ बार विधायक रहे और पार्टी एवं सरकार में लगभग सभी अहम पदों पर रहे, हालांकि वह कभी भी राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बन सके।

इन प्रारंभिक चुनावी चुनौतियों के बाद खरगे के लिए एक अहम परीक्षा 2024 के आम चुनावों से पहले विपक्ष में कांग्रेस की प्रमुखता बहाल करना होगा।

खरगे ऐसे समय में पार्टी अध्यक्ष बने हैं जब पार्टी आंतरिक उठा-पटक का सामना कर रही है और कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है।

उन्हें पार्टी के भीतर ‘पुराने बनाम नए’ चुनौती का भी कुशलता से हल निकालना होगा क्योंकि पार्टी ने युवा पीढ़ी के नेताओं को 50 प्रतिशत पद देने का वादा किया है।

खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के बाद भाजपा ने बुधवार को हैरानी जताई कि यदि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में विपक्षी पार्टी का प्रदर्शन खराब होता है तो क्या उन्हें बलि का बकरा बनाया जाएगा।

मौजूदा चुनौतियों को स्वीकार करते हुए खरगे ने कहा कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी चुनाव होंगे तथा भाजपा को पराजित करने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अपना सर्वस्व दांव पर लगाना होगा।

खरगे ने कहा, ‘हमें इन राज्यों में जोरदार प्रदर्शन करना होगा और हमें इन राज्यों में सफल होने के लिए सभी की ताकत और ऊर्जा की जरूरत होगी।’

भाषा अविनाश मनीषा

मनीषा


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