सुखबीर का दावा: केंद्र ने अंतिम संस्कार स्थल को लेकर मनमोहन के परिवार के अनुरोध को खारिज किया

सुखबीर का दावा: केंद्र ने अंतिम संस्कार स्थल को लेकर मनमोहन के परिवार के अनुरोध को खारिज किया

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  • Publish Date - December 27, 2024 / 10:35 PM IST,
    Updated On - December 27, 2024 / 10:35 PM IST

चंडीगढ़, 27 दिसंबर (भाषा) शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने शुक्रवार को दावा किया कि केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे किसी स्थान पर करने के उनके परिवार के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है, जहां कोई स्मारक बनाया जा सके।

सरकार ने घोषणा की है कि सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा और यह शनिवार को निगमबोध घाट पर पूर्वाह्न 11.45 बजे किया जाएगा।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाए जहां उनका स्मारक बन सके।

उन्होंने प्रधानमंत्री से टेलीफोन पर बात करके और पत्र लिखकर यह आग्रह किया।

मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार को निधन हो गया था। वह 92 साल के थे।

खरगे के अनुरोध पर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

बादल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘स्तब्ध करने वाला और अविश्वसनीय। यह अत्यंत निंदनीय है कि केंद्र सरकार ने डॉ मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार ऐसे किसी स्थान पर करने के उनके परिवार के अनुरोध को मानने से इंकार कर दिया है, जहां राष्ट्र के प्रति उनके बेमिसाल योगदान को याद करने के लिए उनका उचित और ऐतिहासिक स्मारक बनाया जा सके।’’

उन्होंने कहा, ‘यह अतीत में अपनाई गई स्थापित परंपरा के अनुरूप होगा।’’’

बादल ने कहा कि यह बात समझ में नहीं आती कि सरकार एक महान नेता के प्रति इतना अनादर क्यों दिखा रही है, जो प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने वाले सिख समुदाय के एकमात्र सदस्य हैं।

बादल ने लिखा कि फिलहाल अंतिम संस्कार निगम बोध घाट में किया जाना है। उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि भाजपा सरकार इस हद तक पूर्वाग्रह रखेगी कि डॉ मनमोहन सिंह जी जैसे वैश्विक कद वाले नेता का इतना अनादर किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के साथ हमारे राजनीतिक मतभेदों के बावजूद हमने हमेशा डॉ. मनमोहन सिंह का बहुत सम्मान किया है, क्योंकि वे राजनीति और राजनीतिक संबद्धताओं से परे हैं। वह पूरे देश के हैं।’

बादल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया कि ‘‘सरकार के इस निंदनीय फैसले को बदलने के लिए व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करें’’।

भाषा वैभव दिलीप

दिलीप