नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विपक्ष के कुछ सदस्यों ने केंद्र पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वह दक्षिण भारत के राज्यों के साथ भेदभाव कर रहा है और विभिन्न मदों में उन्हें उचित हिस्सेदारी नहीं दी जा रही है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सदस्य जॉन ब्रिटास ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार केरल सहित दक्षिण भारत के राज्यों के साथ भेदभाव कर रही है और दक्षिणी राज्य उत्तर की ‘कॉलोनी’ बन गए हैं।
उच्च सदन में वित्त विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए ब्रिटास ने कहा कि दक्षिणी राज्यों की आबादी 18 प्रतिशत (देश भर की) है जबकि जीडीपी में उनका योगदान 35 प्रतिशत है लेकिन विभिन्न करों में वास्तविक हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से भी कम है।
उन्होंने कहा कि केरल विकास की कीमत चुका रहा है और सरकार ने कहा कि वहां एम्स नहीं बनाया गया है क्योंकि वहां प्रगति हो चुकी है।
माकपा सदस्य ने कहा कि सरकार संघवाद की भावना के खिलाफ काम कर रही है और विपक्ष शासित राज्यों के साथ आर्थिक रूप से भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि पीएम श्री सहित विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं में दक्षिणी राज्यों को उचित आवंटन नहीं हो रहा है।
द्रमुक सदस्य एम मोहम्मद अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह संघवाद को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि उनके राज्य तमिलनाडु में दो-भाषा की नीति रही है लेकिन केंद्र अनुचित नीतियां थोप रहा है और राज्यों के अधिकारों का हनन कर रहा है।
उन्होंने विभिन्न आंकड़े पेश करते हुए दावा किया कि मनरेगा सहित विभिन्न योजनाओं में तमिलनाडु को उचित आवंटन नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि केंद्र अपनी नीतियों से ‘‘विविधता’’ में एकता को नुकसान पहुंचा रहा है।
राजद सदस्य ए डी सिंह ने कहा कि अभी तक नयी जनगणना नहीं हुयी है और सिर्फ धारणा के आधार पर नीतियां बनायी जा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की विभिन्न नीतियां आम लोगों के लिए नहीं बल्कि कुछ लोगों के लिए होती हैं। उन्होंने दावा किया कि सरकार नीतियां कुछ लोगों के प्रभाव में बनाती हैं।
उन्होंने जीएसटी दर में कमी लाने की मांग करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था की प्रगति की दर धीमी है और सरकार के प्रयासों के बाद भी ‘‘स्वस्थ भारत और पढ़ा-लिखा भारत’’ की बात साकार नहीं हो रही है।
तृणमूल कांग्रेस सदस्य सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि सरकार लोगों को रोजगार नहीं दे पा रही है जिससे बेरोजगारी की फौज बन गयी है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कार्पोरेट कर में कमी लाने से राजकोष को एक लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि कार्पोरेट कर में कमी किए जाने का फायदा नहीं हुआ और इससे निवेश नहीं बढ़ा।
उन्होंने आय में असमानता बढ़ने का जिक्र करते हुए कहा कि आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या भले ही ज्यादा है लेकिन वास्तविक आयकर दाताओं की संख्या बहुत कम है।
चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा ने कहा कि उनका प्रदेश ओडिशा अक्सर चक्रवात, बाढ़ आदि का सामना करता है और केंद्र को राज्य को इस संबंध में पर्याप्त मदद देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य से किए गए वादों को पूरा किया जाना चाहिए।
उन्होंने कोयला रॉयल्टी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उनके खासे योगदान के बाद भी ओडिशा को उचित रिटर्न नहीं मिल रहा है। उन्होंने ओडिशा में रेल व सड़क संपर्क बढ़ाने की भी मांग की।
वाईएसआर कांग्रेस सदस्य येर्रम वेंकट सुब्बा रेड्डी ने संशोधित आय कर का स्वागत किया वहीं राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि सरकार की विभिन्न योजनाओं का जमीन पर फायदा हुआ है और गांव-गांव तक इसका प्रभाव दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि कौशल विकास कार्यक्रम का भी असर दिख रहा है और लोग अब स्वरोजगार की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का जोर आधारभूत ढांचा के विकास पर भी रहा है और इससे सड़कों, रेलवे आदि की स्थिति में सुधार स्पष्ट नजर आता है।
भाषा अविनाश मनीषा
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