नयी दिल्ली, 12 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार को दक्षिण दिल्ली में सैनिक फार्म कॉलोनी के नियमितीकरण के मुद्दे को सुलझाना चाहिए और अधिकारियों को एक साथ बैठकर इस पर विचार करना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि न तो कोई ध्वस्तीकरण कार्रवाई की गई और न ही कॉलोनी को वैध बनाया गया है। पीठ ने इस संबंध में अतिरिक्त महाधिवक्ता और दिल्ली सरकार के स्थायी वकील से सहायता मांगी।
दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा, ‘‘यह मामला केंद्र और राज्य के बीच झूल रहा है। हम इसे यूं ही चलते रहने नहीं दे सकते। आपको नीतिगत निर्णय लेना होगा। हम यह नहीं कह रहे कि क्या करना है। या तो नियमित करो या मत करो…। लेकिन आप बस टालमटोल कर रहे हैं। हमें न करना पड़े, अदालत कर दे। आप सभी लोग मिल-बैठकर इसका समाधान निकालें, यही हमारा प्रस्ताव है।’’
उच्च न्यायालय ने कॉलोनियों के नियमितीकरण से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करने के दौरान यह टिप्पणी की है, जिनमें 2015 में दायर एक याचिका भी शामिल है।
अदालत ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि रिट याचिकाओं में उठाई गई चिंताओं पर भारत सरकार के आवास और शहरी विकास मंत्रालय, दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को ध्यान देने की जरूरत है।’’
भाषा रवि कांत नेत्रपाल
नेत्रपाल
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