नयी दिल्ली, 12 जून (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने विधवाओं का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए सरकारी अधिकारियों के वास्ते परामर्श जारी किया है और सभी सरकार-संचालित आश्रय गृहों का एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
आयोग की ओर से जारी परामर्श में कहा गया है कि जो विधवाएं पुनर्विवाह करने या जीवनसाथी तलाशने की इच्छा रखती हैं, उन्हें उचित एजेंसियों या गैर-सरकारी संगठनों से जोड़ा जाना चाहिए।
यह परामर्श केंद्र और राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों को जारी की गई है।
आयोग ने कहा कि उसे परामर्श जारी करने की जरूरत महसूस हुई, क्योंकि उसने देखा कि विधवाओं को जीवनसाथी खोने, सामाजिक बहिष्कार, आय की हानि और यहां तक कि निवास के नुकसान के कारण भावनात्मक संकट जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
इसने अधिकारियों को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) और सभी संबंधित राज्य विभागों की वेबसाइटों पर विधवाओं के लिए सभी सरकारी संचालित गृहों का एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने की सिफारिश की।
इसमें कहा गया है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इन घरों में स्वास्थ्य, मनोरंजन और कौशल विकास सुविधाओं सहित उनकी रहने की स्थिति की निगरानी के लिए त्रैमासिक दौरा करने के लिए जिला स्तर पर एक टीम तैनात कर सकता है।
परामर्श में कहा गया है कि कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट या उपायुक्त को भोजन, आश्रय, सम्मान और संपत्ति की सुरक्षा के संबंध में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
इसने प्रत्येक जिले में विधवाओं के लिए समर्पित प्रकोष्ठ का गठन करने और यह सुनिश्चित करने की भी सिफारिश की है कि सभी आश्रय गृह इसके साथ पंजीकृत हों और भीड़भाड़ वाले न हों।
इसमें कहा गया है कि सभी विधवाओं के आधार कार्ड बनाए जाने चाहिए और उन्हें उचित पहचान पत्र उपलब्ध कराए जाने चाहिए, ताकि वे सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ उठा सकें।
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