नई दिल्ली। Central vista project : नई संसद को लेकर सियासत काफी गरमाई हुई है। आगामी 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। आपको बता दें नए संसद भवन का 19 विपक्षी दलों ने बहिष्कार कर दिया है। इन विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से नए संसद भवन का उद्घाटन कराने की मांग की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इन सबके बीच क्या आप सेन्ट्रल विस्टा (Central Vista) के बारे में जानते हैं? क्या आप जानते हैं सेंट्रल विस्टा किसे कहा जाता है? अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं।
दरअसल, नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के 3.2 किमी लंबे क्षेत्र को सेंट्रल विस्टा खा जाता है। बात करें इसके इतिहास कि तो दिल्ली के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में शामिल इस इलाके की कहानी 1911 से शुरू होती है। उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन था। कलकत्ता उनकी राजधानी थी, लेकिन बंगाल में बढ़ते विरोध के बीच दिसंबर 1911 में किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने का ऐलान किया। दिल्ली में अहम इमारतें बनाने का जिम्मा एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को मिला। इन दोनों ने ही सेंट्रल विस्टा को डिजाइन किया।
लुटियंस और बेकर ने उस समय गवर्नमेंट हाउस (जिसे अब राष्ट्रपति भवन कहा जाता है), इंडिया गेट, काउंसिल हाउस (जिसे संसद कहा जाता है), नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक और किंग जॉर्ज स्टैच्यू (जिसे बाद में वॉर मेमोरियल बनाया गया) का निर्माण किया था। भारत की आजादी के बाद सेंट्रल विस्टा एवेन्यू की सड़क का नाम भी बदल दिया गया और किंग्सवे राजपथ बन गया। जिसके बाद इसका नाम भी कर्तव्य पथ कर दिया गया।
Read More : मशहूर डायरेक्टर के निधन से मचा हड़कंप, होटल में संदिग्ध अवस्था में पाई गई लाश
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्तमान में सेंट्रल विस्टा के अंदर राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, रेल भवन, वायु भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन, शास्त्री भवन, निर्माण भवन, नेशनल आर्काइव्ज, जवाहर भवन, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (IGNCA), उपराष्ट्रपति का घर, नेशनल म्यूजियम, विज्ञान भवन, रक्षा भवन, वाणिज्य भवन, हैदराबाद हाउस, जामनगर हाउस, इंडिया गेट, नेशनल वॉर मेमोरियल और बीकानेर हाउस आते हैं।
बता दें सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस परियोजना पर कुल 608 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। 21 जुलाई 2022 को लोकसभा में पूछे एक सवाल के जवाब में सरकार ने यह जानकारी दी थी।