नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने तीन कोचिंग संस्थानों पर सिविल सेवा परीक्षाओं में अपनी सफलता दर के बारे में भ्रामक विज्ञापन देने पर 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सरकार ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
आधिकारिक बयान में कहा गया कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की 2022 और 2023 की सिविल सेवा परीक्षाओं के परिणामों के संबंध में भ्रामक दावे करने करने को लेकर वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टिट्यूट और स्टडीआईक्यू आईएएस पर क्रमश: सात-सात लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जबकि एज आईएएस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
बयान के अनुसार, सीसीपीए ने पाया कि संस्थानों ने जानबूझकर यह बात छिपाई कि उनके अधिकतर सफल अभ्यर्थियों ने केवल साक्षात्कार मार्गदर्शन कार्यक्रमों में पंजीकरण कराया था, जिससे उनके अन्य पाठ्यक्रमों की प्रभावशीलता के बारे में भ्रामक धारणा बनी।
वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टिट्यूट ने 2022 की परीक्षा में ‘‘933 में से 617 चयन’’ का दावा किया, जबकि स्टडीआईक्यू आईएएस ने 2023 में ‘‘120+ चयन’’ होने का विज्ञापन दिया।
जांच से पता चला कि दोनों संस्थानों में सफल अभ्यर्थियों में से अधिकतर ने केवल साक्षात्कार की तैयारी के लिए पाठ्यक्रम में पंजीकरण कराया था।
उपभोक्ता संरक्षण निकाय ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर विभिन्न कोचिंग संस्थानों को 45 नोटिस जारी किए हैं और अब तक 22 संस्थानों से कुल 71.6 लाख रुपये का जुर्माना वसूला है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने संबंधी विज्ञापन भ्रामक विज्ञापनों की श्रेणी में आते हैं और इसके लिए दंड का प्रावधान है।
भाषा अमित नेत्रपाल
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