कैंसर के मामले बढ़ रहे, आवश्यक दवाओं के मूल्य नियंत्रित रखने पर ध्यान :नड्डा

कैंसर के मामले बढ़ रहे, आवश्यक दवाओं के मूल्य नियंत्रित रखने पर ध्यान :नड्डा

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  • Publish Date - July 26, 2024 / 05:57 PM IST,
    Updated On - July 26, 2024 / 05:57 PM IST

(तस्वीर सहित)

नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को कहा कि भारत में कैंसर के मामलों में वृद्धि के बीच सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है कि कैंसर रोगियों के लिए किफायती और सुलभ उपचार उपलब्ध हो।

लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए नड्डा ने कहा, ‘‘कैंसर के मामलों की संख्या बढ़ रही है, यह हर साल लगभग 2.5 प्रतिशत बढ़ रही है।’’

उन्होंने कहा कि पुरुषों में मुंह के कैंसर और फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, जबकि महिलाओं में स्तन कैंसर के मामलों की संख्या बढ़ रही है।

नड्डा ने कहा कि हर साल कैंसर के 15.5 लाख से अधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कैंसर के लिए 131 आवश्यक दवाओं की एक सूची है, जो अनुसूची 1 में हैं, जिनकी निगरानी की जाती है और जिनकी कीमत सरकार द्वारा तय की जाती है। ये आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं हैं।’’

उन्होंने कहा कि इस मूल्य नियंत्रण के कारण रोगियों के कुल मिलाकर लगभग 294 करोड़ रुपये बचाए गए। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे 28 संयोजन हैं, जो इस सूची में नहीं हैं, लेकिन एनपीपीए (राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण) और सरकार ने उनके मूल्य निर्धारण को भी नियंत्रित किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने कैंसर की दवाओं को किफायती बनाने की कोशिश की है।’’

स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे पर एक अन्य पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए नड्डा ने कहा कि देश में मेडिकल कॉलेजों का विस्तार किया जा रहा है, ताकि अधिक डॉक्टर हो सकें। उन्होंने कहा, ‘‘चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता और मात्रा में संतुलन होना चाहिए। हम जितनी तेजी से आगे बढ़ सकते हैं, आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन साथ ही, हम डॉक्टरों की गुणवत्ता से समझौता नहीं करना चाहते हैं।’’

नड्डा ने सदन को बताया कि देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 2014 में 387 से बढ़कर वर्तमान में 731 हो गई है, जबकि इसी अवधि के दौरान एमबीबीएस सीट की संख्या 51,348 से बढ़कर 1,12,112 हो गई है।

उन्होंने कहा कि मेडिकल छात्रों के लिए स्नातकोत्तर सीट की संख्या 2014 में 31,185 थी, जो बढ़कर वर्तमान में 72,627 हो गई है।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा