क्या बिना अंडे और स्पर्म के भी पैदा हो सकते हैं बच्चे? वैज्ञानिकों ने खोजी नई तकनीक, जानें यहां…

Children can be born without egg and sperm: नई तकनीक के माध्यम से विट्रो फर्टिलाइजेशन बच्चों को आसानी से पैदा किया जा सकता है।

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  • Publish Date - June 15, 2023 / 01:03 PM IST,
    Updated On - June 15, 2023 / 01:08 PM IST

Children can be born without egg and sperm : नई दिल्ली। आज के समय टेक्नोलॉजी का समय है। समय के साथ कई चीजे बदलती जा रही है। देश दुनिया के वैज्ञानिकों ने ऐसे ऐसे अविष्कार की खोज की है और कर रहे है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। वैज्ञानिकों ने अविष्कारों की खोज कर कार्य को सरल और सुगम बना दिया है। वहीं अब वैज्ञानिकों ने एक नई खोज की है। अब बच्चे पैदा करने के लिए सेक्स जरूरी नहीं होगा। अब बिना अंडे और स्पर्म के भी बच्चे पैदा किए जा सकते है।

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Children can be born without egg and sperm : इस नई तकनीक के माध्यम से विट्रो फर्टिलाइजेशन बच्चों को आसानी से पैदा किया जा सकता है। इतना ही नहीं उन्होंने स्टेम सेल का इस्तेमाल करके सिंथेटिक मानव भ्रूण भी बनाया है अंडे और शुक्राणु की जरुरत पूरी करेगा। इस मॉडल के बारे में बात करते हुए वैज्ञानिकों ने बताया कि – ‘हमारा मानव मॉडल पहला तीन वंशीय मानव भ्रूण मॉडल होगा जो एमनियन और जर्म कोशिकाओं, अंडे और शुक्राणु की अग्रदूत कोशिकाओं को निर्दिष्ट करेगा यह काफी आकर्षक है और इसे पूरी तरह से भ्रूण स्टेम सेल के जरिए बनाया गया है।’

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क्या है सिंथेटिक भ्रूण?

स्टेम सेल द्वारा बनाया गया सिथेंटिक भ्रूण इस तरह तैयार किया गया है कि इसमें धड़कते हुए दिल और मस्तिष्क की जरुरत नहीं होती। इसमें कुछ ऐसी कोशिकाएं मौजूद हैं जो नाल, जर्दी थैली और भ्रूण का निर्माण करती हैं। एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया कि – ‘कृत्रिम रुप से बनाए गए यह भ्रूण बार-बार होने वाले गर्भपाते के जैविक कारणों के बारे में भी जानकारी देते हैं। अप्रैल 2021 में द लांसेट नाम के न्यूजपेपर पर प्रकाशित हुई एक खबर के अनुसार, हर साल विश्व स्तर पर 23 मिलियन गर्भपात होते हैं।’

 

इस शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने मानव विकास के ब्लैक बॉक्स की अवधि को समझने का भी प्रयास कियाष जिसे फर्टिलाइजेशन के बाद 16-17 दिनों की अवधि के बीच और फ्री फ्लोटिंग के एक हफ्ते से ज्यादा समय के बाद संदर्भित किया जाता है। भ्रूण खुद ही गर्भ को इस परत से जोड़ता है। वैज्ञानिकों को वर्तमान में सिर्फ 14 दिनों की कानूनी अवधि तक प्रयोगशाला में भ्रूण को डेवलप करने की अनुमति है। इसके अलावा इस दौरान उन्होंने गर्भवस्था के दौरान स्कैन और अनुसंधान के लिए दान किए गए भूर्णों के देखकर ही इसे शुरु किया जाता है

 

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