नयी दिल्ली, सात जनवरी (भाषा) आम आदमी पार्टी (आप) को दिल्ली की सत्ता में लगातार तीसरी बार काबिज़ होने की अपनी कोशिश में सत्ता विरोधी लहर, भ्रष्टाचार के आरोप और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आक्रामक प्रचार अभियान का सामना करना पड़ रहा है।
‘आप’ की ताकत व कमजोरियां का विश्लेषण इस तरह किया जा सकता है:
ताकत
-‘आप’ की योजनाएं और कार्यक्रम, जैसे कि सरकारी स्कूलों का कायाकल्प, मोहल्ला क्लीनिक और मुफ्त बिजली, साथ ही महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा और वरिष्ठ नागरिकों को तीर्थ यात्रा अनुदान पार्टी की ताकत है।
– महिलाओं को 2,100 रुपये मासिक प्रदान करने, बुजुर्गों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवा और ऑटो चालकों के लिए 10 लाख रुपये की बीमा जैसे वादे इसकी कल्याणकारी मुहिम में शामिल होंगे।
-‘रेवड़ी पर चर्चा’ जैसे अभियान यह सुनिश्चित करते हैं कि ये लाभ जनता के ध्यान में रहें, तथा यह ‘आप’ की मतदाताओं तक निरंतर पहुंच को प्रदर्शित करता है।
कमजोरियां
-सत्ता में एक दशक से ज़्यादा का समय बीतने के साथ ही ‘आप’ के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर काफी बढ़ गई है। कई मतदाता बदलाव की ज़रूरत महसूस करते हैं, जिससे पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है।
-भ्रष्टाचार के आरोपों और अरविंद केजरीवाल तथा मनीष सिसोदिया सहित प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी ने पार्टी की साफ-सुथरी छवि को धूमिल किया है। नेतृत्व परिवर्तन और कैलाश गहलोत जैसे प्रमुख नेताओं का पार्टी छोड़ना समेत आंतरिक मतभेद स्थिरता का संकेत देती है जो पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान को कमज़ोर कर सकती है।
-‘शीश महल’ विवाद ने केजरीवाल की छवि को नुकसान पहुंचाया है और भाजपा इसका इस्तेमाल ‘आप’ के खिलाफ अपने अभियान को आगे बढ़ाने के लिए कर रही है।
मौके
– यह चुनाव ‘आप’ को मतदाताओं के साथ फिर से जुड़ने का मौका देता है। शासन में अपनी उपलब्धियों को रेखांकित करना और 20 मौजूदा विधायकों का टिकट काट कर नए चेहरों पर दांव लगाना, बदलती स्थिति के साथ तालमेल बैठाने की उसकी इच्छा को दर्शाता है।
-स्थानीय शासन के मॉडल पर ध्यान केंद्रित करने और राष्ट्रीय स्तर के विफल गठबंधनों से खुद को दूर करने से पार्टी को मतदाताओं का विश्वास पुनः प्राप्त करने और राष्ट्रीय राजधानी में खुद को अपने बल पर राजनीतिक ताकत के रूप में फिर से स्थापित करने में मदद कर सकती है।
-आंतरिक कमजोरियों को दूर करने और बाहरी खतरों का मुकाबला करने की क्षमता दिल्ली की राजनीति के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी पार्टी का भविष्य निर्धारित करेगी।
-यह चुनाव पार्टी के शासन मॉडल तथा आम आदमी को मुफ्त कल्याणकारी योजनाओं पर केन्द्रित वैकल्पिक दृष्टिकोण उपलब्ध कराने के उसके वादों पर एक प्रकार का जनमत संग्रह होगा।
खतरा
– भाजपा अपनी मजबूत प्रचार मशीनरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे स्टार प्रचारकों और ‘आप-दा (आप) नहीं सहेंगे, बदल कर रहेंगे’ जैसे नारों के साथ ‘आप’ के लिए सबसे बड़ा खतरा बनी हुई है।
-भ्रष्टाचार की जांच और उपराज्यपाल कार्यालय के साथ लगातार टकराव, जिसमें पूर्व बस मार्शलों को बहाल करने जैसे नीतिगत निर्णयों पर विवाद शामिल हैं, ‘आप’ की विश्वसनीयता को और नुकसान पहुंचा सकते हैं।
भाषा नोमान सुभाष
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