जीएसटी परिषद की बैठक से पहले तंबाकू, इस तरह के अन्य उत्पादों पर अधिक कर का आह्वान

जीएसटी परिषद की बैठक से पहले तंबाकू, इस तरह के अन्य उत्पादों पर अधिक कर का आह्वान

  •  
  • Publish Date - December 19, 2024 / 06:44 PM IST,
    Updated On - December 19, 2024 / 06:44 PM IST

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) कर की दरों को सुसंगत बनाने पर जीएसटी परिषद की महत्वपूर्ण बैठक से पहले स्वास्थ्य और आर्थिक विशेषज्ञों ने तंबाकू और इस तरह के अन्य हानिकारक उत्पादों पर अधिक ‘सिन टैक्स’ लगाने का आह्वान किया है, ताकि इनकी खपत पर अंकुश लगाया जा सके तथा जन स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सके।

तंबाकू मुक्त भारत पहल के तहत आयोजित एक वेबिनार में विशेषज्ञों ने तंबाकू उत्पादों पर 35 प्रतिशत ‘सिन टैक्स’ स्लैब के लिए मंत्रियों के समूह (जीओएम) की हालिया सिफारिश का समर्थन किया, जो मौजूदा 28 प्रतिशत से अधिक है।

उन्होंने कहा कि तंबाकू पर कर बढ़ाने से न केवल लोगों की जान बचेगी, बल्कि अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी और स्वस्थ एवं विकसित भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया जा सकेगा।

तंबाकू, शराब, मादक द्रव्य, शीतल पेय और कई अन्य पदार्थ ‘सिन गुड्स’ की श्रेणी में आते हैं जिन्हें समाज के लिए हानिकारक माना जाता है तथा ‘सिन टैक्स’ की अवधारणा इसी तरह के उत्पादों पर कर लगाने से संबंधित है।

विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि इस कदम से तंबाकू की खपत पर अंकुश लगेगा और निवारक स्वास्थ्य देखभाल पहल को वित्तपोषित किया जा सकेगा।

राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, भारत सरकार के प्रमुख एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नयी दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. आलोक ठाकर ने कहा, ‘‘तंबाकू से संबंधित बीमारियां भारत की स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ डालती हैं। तंबाकू की खपत को कम करने में कर वृद्धि विश्व स्तर पर प्रभावी साबित हुई है।’’

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारत को सभी तंबाकू उत्पादों को एक मजबूत कर दायरे में शामिल करना चाहिए ताकि उपयोगकर्ताओं को सस्ते, हानिकारक विकल्पों की ओर जाने से रोका जा सके।

जीओएम के प्रस्तावों पर विचार-विमर्श के लिए बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 21 दिसंबर को बैठक होने वाली है।

इनमें तंबाकू और शीतल पेय जैसी वस्तुओं के लिए कर की 35 प्रतिशत की नयी दर पेश करना, नोटबुक, बोतलबंद पानी और साइकिल जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी दरों को कम करने के साथ-साथ स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर प्रीमियम कम करना शामिल है।

लखनऊ विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. अरविंद मोहन ने तंबाकू कराधान को भारत की विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा से जोड़ा।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईसीपीआर) के वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत कुमार सिंह ने तंबाकू से संबंधित मृत्यु दर पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ऐसी बीमारियों के कारण भारत में 2019 और 2021 के बीच 26 लाख लोगों की मौत हुई।

डॉ. सिंह ने कहा, ‘‘तंबाकू कराधान से राजस्व को निवारक स्वास्थ्य देखभाल पर पुनर्निर्देशित करने से भारत को सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।’’

भाषा नेत्रपाल

देवेंद्र

देवेंद्र