कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक अहम मामले की सुनवाई करते हुए 22 साल के रेप के आरोपी को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया। बताया जा रहा है कि युवक पर नाबालिग युवती से रेप का आरोप था। इस मामले में निचली अदालत ने आरोपी को दोषी माना था। लेकिन कोर्ट ने सहमति से संबंध बनाए जाने का हवाला देते हुए आरोपी को बरी कर दिया।
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मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि स्वेच्छा से बनाए यौन संबंध प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेस एक्ट (पॉक्सो) 2012 के तहत अपराध नहीं माने जा सकते। अगर संबंध दोनों की सहमति से हैं, तो पुरुष को केवल इसलिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए क्योंकि उसकी शारीरिक बनावट अलग है।
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पॉक्सो अधिनियम बच्चों की सुरक्षा के लिए है, इसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति को परेशान करने या किसी अन्य से जबरन विवाह करवाने में नहीं होना चाहिए। इस मामले में युवक को निचली अदालत ने दुष्कर्म का दोषी माना था। उसे पॉक्सो में भी दोषी करार दिया था।