नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (भाषा) वाहन, सड़क की धूल, निर्माण गतिविधियों से निकलने वाली धूल, जैव ईंधन जलाना और औद्योगिक उत्सर्जन सर्दियों के दौरान दिल्ली के वायु प्रदूषण में योगदान देते हैं। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में 2014 से 2024 तक वायु गुणवत्ता में उतार-चढ़ाव देखा गया है।
शहर में 19 सितंबर तक 96 दिन ऐसे दर्ज किए गए, जब वायु गुणवत्ता को खराब, बहुत खराब या गंभीर श्रेणी में वर्गीकृत किया गया था। इसकी तुलना में 2023 में 159, 2022 में 202, 2021 में 168, 2020 में 139, 2019 में 183, 2018 में 206, 2017 में 211 और 2016 में 243 ऐसे दिन थे। ये पिछले कुछ वर्षों में वायु गुणवत्ता में उतार-चढ़ाव को दर्शाते थे।
डीपीसीसी की ताजा रिपोर्ट में रेखांकित दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के ताजा स्रोत विभाजन अध्ययन से पता चलता है कि व्यापक शोध ने दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों की पहचान की है, जैसे वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन, सड़क की धूल, निर्माण गतिविधियां और जैव ईंधन जलाना।
इन समस्याओं को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर सख्त नियंत्रण के साथ-साथ निर्माण और विध्वंस गतिविधियों से निकलने वाली धूल के प्रबंधन के लिए कड़े उपाय किए हैं।
रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया है। अधिकारियों ने स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देने के लिए शहर भर में हजारों ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।
इस पहल का एक उल्लेखनीय पहलू स्थलों के आकार के आधार पर आनुपातिक वितरण रणनीति के तहत बड़े निर्माण स्थलों पर 498 ‘एंटी-स्मॉग गन’ तैनात करना है।
केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन (सीएक्यूएम) नीति के अनुसार, 5,000-10,000 वर्ग मीटर तक के निर्माण स्थलों पर एक ‘एंटी-स्मॉग गन’ लगाई जाएगी, जबकि 20,000 वर्ग मीटर से अधिक के स्थलों पर चार ‘गन’ लगाई जाएंगी।
रिपोर्ट के अनुसार, रणनीति के तहत प्रमुख पहलों में शहर भर में 40 स्थानों पर वायु गुणवत्ता की बेहतर निगरानी करना और आठ महत्वपूर्ण वायु गुणवत्ता मापदंडों पर नजर रखना शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण के रुझानों को समझने और लक्षित हस्तक्षेपों को लागू करने के लिए ये आंकड़े जरूरी है।
इस बीच, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जैव ईंधन जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कचरा जलाने वाले स्थलों का निरीक्षण बढ़ाया गया है और अक्टूबर 2023 और सितंबर 2024 के बीच 74,832 निरीक्षण किए गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि खुले में जैव ईंधन जलाने की कुल 1,321 घटनाओं में कुल 6.85 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
भाषा
सिम्मी माधव
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