बजट ने आम आदमी की आकांक्षाओं पर की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ : राज्यसभा में विपक्ष ने कहा

बजट ने आम आदमी की आकांक्षाओं पर की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ : राज्यसभा में विपक्ष ने कहा

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  • Publish Date - July 26, 2024 / 04:57 PM IST,
    Updated On - July 26, 2024 / 04:57 PM IST

नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) राज्यसभा में शुक्रवार को विपक्षी दलों के सदस्यों ने केंद्र सरकार पर बजट के माध्यम से आम लोगों की आकांक्षाओं पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करने का आरोप लगाया। इसके साथ ही उन्होंने बेरोजगारी एवं असमानता को दूर करने, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए अधिक बजटीय प्रावधान, दक्षिण के राज्यों पर अधिक ध्यान देने, निजी निवेश को बढ़ाने जैसे मुद्दों पर गौर करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उच्च सदन में आम बजट 2024-25 एवं जम्मू कश्मीर के बजट पर एक साथ हो रही चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संदोष कुमार पी ने कहा कि यह बजट देश के विभिन्न भागों में रहने वाले लोगों के लिए एक बोझ की तरह है। उन्होंने इसे जन-विरोधी एवं संघ भावना के विरूद्ध बताते हुए कहा कि बजट ने देश के लोगों की आकांक्षा पर ‘सर्जिकिल स्ट्राइक’ की है।

उन्होंने कहा कि इस बजट ने दक्षिण भारत के लोगों के मन में अलग-थलग होने की भावना पैदा की है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के राज्यों की जायज मांगों को पूरा किया जाना चाहिए।

भाकपा सदस्य ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, अर्थशास्त्रियों एवं अन्य विशेषज्ञों को मिलकर ऐसे तौर तरीके निकालने चाहिए कि बजट को कैसे समग्र एवं समावेशी बनाया जा सके।

उन्होंने कहा कि देश भर में 22 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्था (एम्स) हैं किंतु केरल में एक भी एम्स नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मांग को क्यों नहीं माना जा रहा? यदि केंद्र केरल से एक रुपये लेता है तो उसे कम से कम इसका आधा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से राज्य को वापस करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश इस समय ‘अमृत काल’ में चल रहा है और इस समय किसानों के लिए एक विशेष बजट लाया जाना चाहिए। उन्होंने धान, काली मिर्च और रबड़ की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सूची में शामिल करने की केरल की मांग को पूरा करने का भी सुझाव दिया।

उन्होंने सरकार से जनगणना और जाति आधारित गणना तुरंत कराये जाने की मांग की।

राष्ट्रीय जनता दल सदस्य ए डी सिंह ने चर्चा में भाग लेते कहा कि सरकार बड़ी-बड़ी आधारभूत परियोजनाओं को बनाने में लगी है किंतु उसे शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी सामाजिक आधारभूत परियोजनाओं पर भी धन खर्च करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बेरोजगारी को देखते हुए सरकार को नर्सिंग एवं फिजियोथैरिपी क्षेत्र में कौशल विकास पर अधिक ध्यान देना चाहिए जिसकी पश्चिम एशिया सहित विभिन्न देशों में काफी मांग है।

सिंह ने कहा कि उत्तर भारत के राज्यों विशेषकर पंजाब में किसानों को फसल विविधीकरण के बारे में सुझाव दिया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि बोरे में यूरिया की मात्रा 50 किलोग्राम से घटाकर 45 किग्रा करने से किस उद्देश्य की पूर्ति हो सकेगी? उन्होंने कहा कि क्या इससे रासायनिक उर्वरक की खपत कम होगी, जिसकी वकालत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करते रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में बजटीय प्रावधान की राशि पूरी तरह से खर्च नहीं हो पाती है।

वाईएसआर कांग्रेस के एस निरंजन रेड्डी ने कहा कि यदि स्थूल मापदंड पर देखें तो भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर दिख रही है। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को मध्यम एवं दीर्घ अवधि को ध्यान में रखकर बजट में प्रावधान करने और लोकलुभावन उपाय नहीं करने के लिए बधाई दी।

उन्होंने सरकार को आगाह किया कि उसे देश में बढ़ती असामनता की ओर विशेष ध्यान देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर भारत के पास विशाल जनसंख्या का लाभ है किंतु इतनी बड़ी जनसंख्या को रोजगार देना बहुत बड़ी चुनौती है और 2035 तक यह चुनौती विकराल रूप ले सकती है।

रेड्डी ने कोविड महामारी के दौरान और उसके बाद अर्थव्यवस्था से जुड़ी चुनौती पर ध्यान देने के लिए सरकार की सराहना की। देश के समक्ष उत्पन्न चुनौती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में तेजी के बावजूद उस गति से निजी निवेश नहीं आ रहा जितनी उम्मीद की जा रही है।

उन्होंने कहा कि व्यापारी वर्ग में भय और आशंका को देखते हुए निजी निवेश में कमी आ रही है। उन्होंने कहा कि जीएसटी को लेकर कई आशंकाएं हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी अधिकारियों को व्यापारी वर्ग से व्यवहार के मामले में संवेदनशील होना पड़ेगा।

रेड्डी ने कहा कि देश विचित्र स्थिति से गुजर रहा है जहां शेयर बाजार फल-फूल रहा है लेकिन निजी निवेश नहीं बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को व्यवहार में नरमी बरतनी होगी ताकि व्यापारी वर्ग के मन से भय एवं आशंका दूर हो सके।

उन्होंने अदालत एवं उससे जुड़े आधारभूत ढांचे के लिए बजट आवंटन बढ़ाये जाने के प्रस्तावों का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘यदि हमें विकसित भारत चाहिए तो हमें विकसित अदालती आधारभूत ढांचा भी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह प्रयास यही रुकने नहीं चाहिए और भविष्य में ऐसे प्रयासों की गति बढ़ायी जानी चाहिए’’

रेड्डी ने सुझाव दिया कि जिस प्रकार ई-अदालतों के लिए बजट आवंटन दिया गया है वैसे ही ई-अधिकरणों के लिए बजटीय प्रावधान किए जाने चाहिए।

मनोनीत गुलाम अली ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार में भारत विश्व की 11वीं अर्थव्यस्था थी किंतु नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश पांचवीं अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा कि आज भारत के नागरिक को सम्मान मिलता है।

अली ने कहा कि पहले जो देश भारत को आंखें दिखाते थे, वे देश आज प्रधानमंत्री मोदी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान देते हैं। उन्होंने इस सिलसिले में विभिन्न देशों के नाम भी गिनवाये। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में हमारी बात का वजन है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत स्वयं अपने हाथों में झाड़ू पकड़कर कई पीढ़ियों को यह संदेश दिया कि यह काम किसी एक वर्ग का नहीं बल्कि पूरे समाज का है।

भाषा माधव अविनाश

अविनाश