नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने लॉकडाउन में दलितों, अति पिछड़ों और गरीबों की स्थिति को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस के मद्देनजर लगाई गई लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकारों द्वारा दलितों और गरीबों की उपेक्षा की गई।
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उनके लिए किसी तरह की राहत की घोषणा नहीं की है। ऐसे में केंद्र सरकार का यह कर्तव्य होता है कि इन हालातों में दलित-मजदूरों और पिछड़ों के लिए राहत का ऐलान करें। डा. भीमराव आंबेडकर की 129वीं जयंती पर उन्हें याद किया है। इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार से दलित-मजदूरों और पिछड़ों का ख्याल रखने की बात कही है।
उन्होंने कहा कि पलायन करने वालों में 90 फीसदी दलित व अति पिछड़े थे। सरकारों ने इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की। अपने ही देश में लोग भूखे प्यासे है। ये सब देखने से ऐसा लगता है कि आज भी जातिवादी मानसिकता पूरी तरह से नहीं बदली है।
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आगे कहा कि दिल्ली समेत, यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान व अन्य राज्यों में रोजी-रोटी कमाने के लिए गए लोग अपने मालिकों व राज्य सरकारों की उपेक्षा को देखते हुए मजबूरी में अपने-अपने घरों के लिए पलायन करने लगे। पलायन करने वाले लगभग 90 फीसदी दलित, आदिवासी व अति पिछड़े वर्ग से थे जबकि 10 फीसदी लोग समाज के अन्य वर्गों के गरीब थे।
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मालूम होगा कि पीएम मोदी ने आज देश को संबोधित किया। इस दौरान पीएम ने 3 मई तक लॉकडाउन की घोषणा की है। वहीं पहले से लागू लॉकडाउन के चलते सैकड़ों मजदूर अपने घर नहीं पहुंच पाए हैं। उन्हें अलग-अलग जगहों में ठहराए गए हैं। अब लॉकडाउन की तारीख बढ़ने से फिर से परेशानी बढ़ गई है।
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