ब्रेन स्कैन से पता चला, योग निद्रा से क्यों आराम महसूस होता है

ब्रेन स्कैन से पता चला, योग निद्रा से क्यों आराम महसूस होता है

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  • Publish Date - September 24, 2024 / 07:49 PM IST,
    Updated On - September 24, 2024 / 07:49 PM IST

नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) योग-अध्यात्म का अभ्यास करने वाले लोगों के ब्रेन स्कैन से तंत्रिका तंत्र की उस संभावित गतिविधि के बारे में पता चला है, जिसके चलते ‘योग निद्रा’ के बाद व्यक्ति को आराम महसूस होता है।

‘योग निद्रा’ अध्यात्म की एक पद्धति है, जो व्यक्ति को नींद सरीखी स्थिति में ले जाने के बावजूद उसमें मानसिक सतर्कता का स्तर बनाए रखता है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली सहित अन्य संस्थानों के अनुसंधानकर्ताओं के एक दल ने ध्यान के अभ्यास में माहिर 30 प्रतिभागियों और 31 नौसिखियों के मस्तिष्क की ‘फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एफएमआरआई)’ की।

इस दौरान, दल ने प्रतिभागियों के ‘डिफॉल्ट मोड नेटवर्क’ पर गौर किया, जो मस्तिष्क का ‘बैकग्राउंड मोड’ होता है और जिसे तब सक्रिय माना जाता है, जब कोई आत्मविश्लेषण कर रहा होता है या फिर अपने दिमाग को स्वतंत्र रूप से विचारों की दुनिया में भटकने दे रहा होता है।

नतीजों की तुलना करने पर दल ने पाया कि ध्यान लगाने में माहिर प्रतिभागियों में आराम की मुद्रा में होने के मुकाबले योग निद्रा का अभ्यास करने के दौरान ‘डिफॉल्ट मोड नेटवर्क’ की सक्रियता कम होती है, जिससे संकेत मिलता है कि वे “वर्तमान को लेकर अधिक सतर्क होते हैं।”

दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज में कंप्यूटर साइंस विभाग में सहायक प्रोफेसर सोनिका ठकराल ने कहा कि ‘डिफॉल्ट मोड नेटवर्क’ आमतौर पर अतीत या भविष्य के बारे में सोचने, दूसरे लोगों के बारे में विचार करने, आत्मकथात्मक प्रक्रियाओं, दृश्य चित्रण और लक्ष्य निर्देशित अनुभूति से जुड़ा होता है।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “ध्यान के अभ्यास के दौरान स्वस्थ प्रतिभागियों में ‘डिफॉल्ट मोड नेटवर्क” की सक्रियता में गिरावट मन के भटकने या अतीत या भविष्य के बारे में सोचने की प्रक्रिया में कमी आने और वर्तमान पल में अधिक जीने का संकेत देता है।”

ठकराल ने बताया कि ध्यान का नया-नया अभ्यास शुरू करने वाले प्रतिभागियों के मुकाबले अनुभवी ध्यानियों में मस्तिष्क की गतिविधियों में ये बदलाव ज्यादा प्रबल थे, जिससे संकेत मिलता है कि नौसिखियों की तुलना में अनुभवी ध्यानियों में मन भटकने की दर कम होती है और वे अधिक आराम महसूस करते हैं।

अनुसंधान के नतीजे ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं।

भाषा पारुल धीरज

धीरज