संभल (उप्र), 29 नवंबर (भाषा) संभल में मस्जिद सर्वेक्षण से जुड़े विवाद पर उच्चतम न्यायालय के आदेश का दोनों पक्षों ने स्वागत किया है।
शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को संभल की निचली अदालत से कहा कि वह मुगलकालीन मस्जिद के सर्वेक्षण से संबंधित कोई आदेश पारित न करे। इसने उत्तर प्रदेश सरकार को हिंसा प्रभावित शहर में शांति एवं सद्भाव बनाए रखने का निर्देश दिया।
इस आदेश का स्वागत करते हुए मस्जिद कमेटी के वकील शकील अहमद वारसी ने शुक्रवार को पीटीआई-भाषा से कहा कि उच्चतम न्यायालय का यह आदेश बेहतर है।
वहीं, हिन्दू पक्ष के वकील श्रीगोपाल शर्मा ने कहा, ‘‘शीर्ष अदालत का निर्णय सिर आंखों पर है।’’ उन्होंने कहा कि चाहे निचली अदालत का फैसला हो, चाहे उच्च न्यायालय का फैसला हो या शीर्ष अदालत का आदेश हो, उसका पालन सभी को करना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को मुस्लिम पक्ष की याचिका दाखिल होने के तीन कार्य दिवसों के भीतर मामला सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
इसने कहा, ‘‘हमें उम्मीद और भरोसा है कि निचली अदालत इस मामले पर तब तक आगे नहीं बढ़ेगी जब तक कि उच्च न्यायालय इस पर सुनवाई नहीं करता और इस मामले में कोई आदेश पारित नहीं करता।’’
संभल में अदालत के आदेश पर 19 नवंबर को जामा मस्जिद के पहली बार किए गए सर्वेक्षण के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है। अदालत ने यह आदेश जिस याचिका पर दिया उसमें दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है वहां पहले कभी हरिहर मंदिर था।
गत 24 नवंबर को मस्जिद का दोबारा सर्वेक्षण किए जाने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी तथा 25 अन्य घायल हुए थे।
भाषा सं आनन्द नेत्रपाल
नेत्रपाल