सीमाएं बलपूर्वक नहीं बदली जानी चाहिए : जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज

सीमाएं बलपूर्वक नहीं बदली जानी चाहिए : जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज

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  • Publish Date - October 26, 2024 / 06:40 PM IST,
    Updated On - October 26, 2024 / 06:40 PM IST

(तस्वीरों के साथ)

पणजी, 26 अक्टूबर (भाषा) भारत के तीन दिवसीय दौर पर आए जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने शनिवार को कहा कि सीमाओं को “युद्ध या बल प्रयोग” के जरिये नहीं बदला जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर रूस का आक्रमण वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है, क्योंकि “इसका मकसद सीमाओं को बदलना है।”

गोवा की यात्रा के दौरान वास्को में बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स) पिलानी के छात्रों से बातचीत करते हुए शोल्ज ने राष्ट्रीय सीमाओं के सम्मान को शांति का आधार बताया।

शोल्ज ने मोरमुगाओ बंदरगाह पर खड़े जर्मन नौसैन्य जहाज ‘एफजीएस बेडन-वुर्टेमबर्ग’ का भी दौरा किया।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र किया।

शोल्ज ने कहा, “हम आज जो संकट और संघर्ष देख रहे हैं, उसमें से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एवं शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता है।’’

उन्होंने कहा कि इसका कारण एक ही है और वह है ‘‘सीमाएं बदलने की मंशा।”

उन्होंने कहा, “और शांति एवं सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र में हुए समझौते तथा कई अन्य क्षेत्रीय समझौतों में, उदाहरण के लिए यूरोप के संबंध में हुए समझौतों में, हमारे बीच जो सहमति बनी थी, वह यह है कि युद्ध या बल प्रयोग के जरिये सीमाओं को कभी भी नहीं बदला जाना चाहिए। अगर आप एक छोटे देश हैं तो यही शांति का आधार है।”

शोल्ज ने याद दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र में एक केन्याई राजदूत ने एक बार सुरक्षा परिषद में कहा था कि अफ्रीकी देशों की सीमाएं औपनिवेशिक ताकतों के अधिकारियों ने खींची थीं, और “अगर हम सभी वास्तविक सीमा को खोजने की कोशिश करेंगे और युद्ध लड़ेंगे तो अफ्रीका में सौ साल तक युद्ध छिड़ा रहेगा।”

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए और आज सीमाएं जिस स्वरूप में हैं, उनके उल्लंघन का प्रयास नहीं किया चाहिए, और यह वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के मुख्य पहलुओं में से एक है।

जर्मन चांसलर ने कहा कि भारत और जर्मनी “नवाचार, गतिशीलता और निरंतरता” के साथ मिलकर आगे बढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि “बहुत सारे भारतीय” अब जर्मनी में रह रहे हैं, जिनमें लगभग 50,000 छात्र भी शामिल हैं, जो 2022 की संख्या के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा है।

भारत-जर्मनी के बीच अच्छे रिश्ते होने का जिक्र करते हुए शोल्ज ने कहा, “मुझे यह जानकर खुशी हुई कि जर्मन विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों में भारतीय छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा हो गई है।”

सुचारू व्यापार के लिए समुद्री सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने कहा कि देशों को अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करना चाहिए।

शोल्ज ने कहा, “मैं हैमबर्ग शहर का मेयर था, जो एक बंदरगाह शहर है, जहां समुद्री यात्रा से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली अंतरराष्ट्रीय अदालत स्थित है। मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं कि इन सार्वभौमिक समझौतों में निर्धारित नियमों का पालन सभी को करना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “ये नियम सबसे ताकतवर देशों द्वारा निर्धारित नहीं किए जाने चाहिए। ये ऐसे नियम होने चाहिए कि हम एक साथ विकास करें, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र की समुद्री कानून से जुड़ी अदालत का मानना है।”

शोल्ज ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ इन मुद्दों पर चर्चा की और “हम सहमत हुए कि यह एक महत्वपूर्ण पहलू है।”

उन्होंने कहा कि 2050 तक वैश्विक आबादी बढ़कर दस अरब होने का अनुमान है और तब कई नये शक्तिशाली देश उभरेंगे।

शोल्ज ने कहा, “अब समय आ गया है कि हम संबंधों को कुछ इस तरह से विकसित करें कि वे समान स्तर पर हों, हर कोई एक साथ काम कर रहा हो, कोई दूसरों को यह नहीं बता रहा हो कि किसे क्या करना है।”

भाषा पारुल सुभाष

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