यौन हिंसा के मामलों पर किताब, मलयालम सिनेमा मामले का भी जिक्र

यौन हिंसा के मामलों पर किताब, मलयालम सिनेमा मामले का भी जिक्र

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  • Publish Date - September 9, 2024 / 01:56 PM IST,
    Updated On - September 9, 2024 / 01:56 PM IST

नयी दिल्ली, नौ सितंबर (भाषा) मलयालम सिनेमा जगत से जुड़े यौन हिंसा मामले सहित ऐसे विभिन्न मामलों को लेखिका निधि सुरेश ने अपनी किताब का आधार बनाया है जो पितृसत्तात्मक ढांचे के काम करने के तौर तरीकों से परदा उठाती है।

‘ए सुटेबल एजेंसी’ यौन हिंसा पर पत्रकार निधि सुरेश की आगामी किताब प्रस्तुत करेगी। किताब का शीर्षक अभी तय किया जाना बाकी है। यौन हिंसा के मामलों पर छह साल तक रिपोर्टिंग करने के बाद सुरेश को यह किताब लिखने का विचार आया।

मलयालम सिनेमा की एक शीर्ष महिला अभिनेत्री के यौन उत्पीड़न की 10 महीने तक चली जांच इसका निर्णायक बिन्दु रही।

फरवरी, 2017 में एक जानी मानी अभिनेत्री का कोच्चि में भाड़े के छह गुंडों ने यौन उत्पीड़न किया था। मलयालम सिनेमा के सुपरस्टार अभिनेता दिलीप पर इस अपराध की साजिश रचने का आरोप है।

इस मामले ने न सिर्फ प्रतिरोध को जन्म दिया, बल्कि एक ऐसे राज्य में अस्तित्व का संकट भी पैदा कर दिया, जिसे अक्सर भारत के सबसे प्रगतिशील प्रदेशों में से एक माना जाता है।

वर्ष 2017 में सिनेमा में महिला समूह (डब्ल्यूसीसी) की स्थापना की गई और केरल सरकार को न्यायमूर्ति के. हेमा समिति का गठन करना पड़ा जिसने मलयालम सिनेमा में कामकाज के हालात पर महिलाओं के बयान दर्ज किए।

रिपोर्ट को पांच साल तक सार्वजनिक नहीं किया गया। इस साल अगस्त में रिपोर्ट का संशोधित संस्करण जारी किया गया जिससे केरल के अंदर ‘‘मी टू’’ की एक नयी लहर छिड़ गई।

सुरेश ने कहा, ‘‘दुर्व्यवहार से मेरा पहला सामना केरल में हुआ। दिल्ली में रहने वाली एक मलयाली के रूप में मुझे हमेशा केरल में पितृसत्ता के स्वरूप और विस्तार को समझाने में कठिनाई होती रही है।’’

लेखिका के एक बयान के अनुसार, यौन हिंसा की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाले पितृसत्तात्मक ढांचों की कार्यप्रणाली को उजागर करने के लिए पुस्तक में गहराई से चर्चा की जाएगी और यह भी बताया जाएगा कि कैसे वे इसके बाद का विमर्श गढ़ने के लिए स्थिति को अपने हिसाब से नियंत्रित और तथ्यों को तोड़ने-मोड़ने का प्रयास करते हैं।

भाषा सुरभि नरेश

नरेश