इंफाल: BJP Withdraws Liquor Ban Law छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का वादा करके मुकरने वाली कांग्रेस सरकार को प्रदेश की जनता ने उखाड़ फेंका है, तो वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश में लगातार शराबबंदी की मांग हो रही है। पूर्व सीएम उमा भारती लगातार शराबबंदी की मांग कर रही है और अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुकीं हैं। लेकिन इस बीच भाजपा सरकार ने एक राज्य में शराबबंदी कानून को ही खत्म कर दिया हैं यानि अब यहां बिंदास शराब की बिक्री की जा सकेगी। बता दें कि ये कानून 30 से अधिक समय से यहां लागू था।
BJP Withdraws Liquor Ban Law मिली जानकारी के अनुसार मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने 30 साल से अधिक समय के बाद शराब पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है। कैबिनेट ने राज्य का राजस्व बढ़ाने और जहरीली शराब की सप्लाई रोकने के लिए शराब नीति में सुधार किया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने राज्य में 30 साल से अधिक के प्रतिबंध के बाद शराब के निर्माण, उत्पादन, कब्जे, निर्यात, आयात, परिवहन, खरीद, बिक्री और खपत को मंजूरी दे दी है।
बता दें 1991 में मणिपुर शराब निषेध अधिनियम लागू होने के बाद से मणिपुर में शराब बिक्री और पीने पर प्रतिबंध लग गया था। अधिकारी ने कहा, शराब की बिक्री से राज्य को सालाना कम से कम 600 करोड़ रुपए कमाने में मदद मिलेगी। शराबबंदी वापस लेने का फैसला सोमवार को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया था।
दूसरी ओर मणिपुर में जैसे ही शराबबंदी कानून को खत्म किया गया, बिहार में भी इसकी मांग होने लगी है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने एक बार फिर बिहार सरकार से मणिपुर सरकार के फैसले की तरह राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध हटाने की अपील की है। सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरी ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि तीन दशक से अधिक लंबे निषेध को समाप्त करके मणिपुर सरकार ने एक सकारात्मक कदम उठाया है। इससे न केवल वार्षिक कर राजस्व के रूप में 600-700 करोड़ रुपये की कमाई होगी, बल्कि अवैध शराब की बिक्री और नशीली दवाओं के प्रसार के खतरे से निपटने में भी मदद मिलेगी।