नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) उत्तर प्रदेश के मंत्री असीम अरुण ने बुधवार को कहा कि भाजपा ने संविधान को मजबूत किया और कांग्रेस के विपरीत केंद्र में अपने कार्यकाल के दौरान सामाजिक न्याय के लिए इसमें संशोधन किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए संविधान की मूल संरचना को बदलने का “दुर्भावनापूर्ण प्रयास” किया था।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में समाज कल्याण मंत्री अरुण ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि किसी को भी संविधान की मूल संरचना को बदलने का अधिकार नहीं है तथा दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी इसे बरकरार रखने के लिए तैयार है।
उन्होंने भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, “कांग्रेस ने कहा है कि वह धारा 370 वापस लाएगी, यानी कश्मीर में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को मिला आरक्षण भी वापस ले लिया जाएगा।”
भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस को ऐसा कोई मौका नहीं मिलेगा क्योंकि देश की जनता उसके ‘खेल’ को समझ चुकी है।
अरुण की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते हुए आरोप लगा रहे हैं कि पार्टी लोकसभा चुनाव में 400 से अधिक सीटें मांग रही है क्योंकि वह संविधान को बदलना चाहती है और देश में एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण देने के लिए बनाए गए प्रावधानों को खत्म करना चाहती है।
अरुण ने कहा, “भाजपा शासन के दौरान संविधान को मजबूत करने, सामाजिक न्याय की लड़ाई और बी.आर. आंबेडकर के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए संशोधन किए गए थे।”
उन्होंने कहा, “इसके विपरीत, संविधान में संशोधन नहीं बल्कि बदलाव का सबसे दुर्भावनापूर्ण प्रयास दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया गया था जब उच्च न्यायालय के फैसले के बाद वह प्रधानमंत्री का पद गंवाने की आशंका का सामना कर रही थीं।”
अरुण ने कहा कि पूर्ववर्ती इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लाए गए संशोधन में यह प्रावधान किया गया था कि उच्चतम न्यायालय सहित न्यायपालिका को अब राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई का अधिकार होगा।
भाजपा नेता ने कहा, “विभिन्न अवसरों पर संविधान की मूल संरचना को बदलने का यह सबसे दुर्भावनापूर्ण प्रयास था। मैं न्यायपालिका की शक्ति को सलाम करता हूं जिसने इस संशोधन को रद्द कर दिया। बाद में, आपातकाल लगाया गया और उन्हें (इंदिरा गांधी) बचाने के लिए अन्य काम किए गए।”
भाषा प्रशांत माधव
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