भाजपा घुसपैठ के मामले में असम पर ध्यान दे, जहां यह एक ज्वलंत मुद्दा है: तृणमूल सांसद सुष्मिता देव

भाजपा घुसपैठ के मामले में असम पर ध्यान दे, जहां यह एक ज्वलंत मुद्दा है: तृणमूल सांसद सुष्मिता देव

भाजपा घुसपैठ के मामले में असम पर ध्यान दे, जहां यह एक ज्वलंत मुद्दा है: तृणमूल सांसद सुष्मिता देव
Modified Date: April 2, 2025 / 02:44 pm IST
Published Date: April 2, 2025 2:44 pm IST

नयी दिल्ली, दो अप्रैल (भाषा) राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस की एक सदस्य ने सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर पश्चिम बंगाल पर निशाना साधने के बजाय उसे असम पर ध्यान देना चाहिए चाहिए जहां यह एक ज्वलंत मुद्दा है। उन्होंने सरकार द्वारा लाये गये आव्रजन संबंधी एक विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजने का सुझाव दिया।

उच्च सदन में आप्रवास एवं विदेशियों विषयक विधेयक, 2025 पर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव ने दावा किया कि यह विधेयक गैर कानूनी आव्रजन, नागरिकता, निर्वासन, निरुद्ध शिविर, मतदाताओं एवं आधार कार्ड संबंधित चार कानूनों का निरसन करता है। उन्होंने कहा कि यदि इस विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास नहीं भेजा गया तो यह संसदीय लोकतंत्र के लिए उचित नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के लोग हमेशा पश्चिम बंगाल की बात करते हैं जबकि देश में यदि कोई ऐसा राज्य है जहां गैर कानूनी आव्रजन, नागरिकता, विदेशियों एवं घुसपैठियों को वापस भेजने के मुद्दे ज्वलंत हैं तो वह असम है। उन्होंने कहा कि असम में ‘डबल इंजन की सरकार’ है।

 ⁠

तृणमूल सदस्य ने आरोप लगाया कि असम उनकी (भाजपा की) तोड़-मरोड़ वाली नीति की प्रयोगशाला है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने असम समझौते की धज्जियां उड़ायी हैं। उन्होंने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून लागू होने के बाद अभी तक मात्र 350 लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान की गयी है।

उन्होंने कहा कि सरकार के तमाम दावों के बावजूद राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के मामले में आज तक कुछ नहीं हुआ। उन्होंने दावा किया कि सत्ता पक्ष ने 26 लाख लोगों के आधार कार्ड रोक दिए हैं।

सुष्मिता ने कहा कि उनकी पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने मतदाता सूची के लिए कितना बड़ा आंदोलन किया था, यह जाकर पता किया जाना चाहिए। उन्होंने गृह मंत्री को चुनौती दी कि वह पहले एनआरसी को अधिसूचित करें और उसके बाद इस विषय में फिर कोई अन्य बात करें।

भाषा माधव मनीषा

मनीषा

मनीषा


लेखक के बारे में