ममता बनर्जी का आरोप, कहा- जय श्रीराम का इस्तेमाल कर धर्म को राजनीति में मिला रही है भाजपा

ममता बनर्जी का आरोप, कहा- जय श्रीराम का इस्तेमाल कर धर्म को राजनीति में मिला रही है भाजपा

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  • Publish Date - June 2, 2019 / 03:35 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:25 PM IST

कोलकाता: लोकसभा चुनाव 2019 का चुनावी शोरगुल अभी खत्म हुआ नहीं कि भाजपा-टीएमसी के बीच जय श्रीराम के नारे को लेकर बवाल मच गया है। दरअसल बीते दिनों ममता बनर्जी का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वो जय श्रीराम के नारे लगाने वालों को धमकाते हुए नजर आ रहीं थी। इसके बाद से भाजपा नेताओं ने लगातार ममता बनर्जी पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। वहीं, दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पलटवार करते हुए भाजपा पर गंभीर आरोप लगाया है। ममता ने कहा है कि भाजपा जय श्रीराम के नारे को पार्टी के नारे की तरह इस्तेमाल कर रही है। भाजपा बार-बार ‘जय श्री राम का इस्तेमाल कर धर्म को राजनीति में मिला रही है।

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हम जनसाधारण को यह सूचित करना चाहते हैं कि भाजपा के कुछ समर्थक मीडिया के एक वर्ग के जरिए घृणा की विचारधारा फ़ैलाने का प्रयास कर रहे हैं। तथाकथित भाजपाई मीडिया और तथाकथित जाली वीडियो, जाली ख़बरें, झूठी ख़बरें और दुष्प्रचार करके वे गड़बड़ी फैलाना चाहते हैं। सच्चाई और वास्तविकता को दबाना चाहते हैं।
जहां तक मीडिया का सवाल है, हमें कोई समस्या नहीं है क्योंकि यह उनकी पसंद और उनका विशेषाधिकार है। राममोहन रॉय से लेकर विद्यासागर तथा अन्य महान समाज सुधारकों के समय से बंगाल, मेलबंधन, उन्नति और दूरदर्शिता का आधार रहा है, मगर आज भाजपा ने विकृत विचार वाली कपट-विद्या का सहारा लेकर बंगाल को बड़े ही नकारात्मक तरीके से लक्ष्य बना रखा है।

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मुझे किसी भी राजनैतिक दल की रैली और उनके दल के मतलब के लिए बनाए गए नारों से कोई समस्या नहीं है। प्रत्येक राजनैतिक पार्टी का अपना नारा होता है। मेरी पार्टी का नारा जय हिन्द, वन्दे मातरम है। वाम पार्टियों का नारा इंकलाब जिंदाबाद है। इसी प्रकार दूसरों के अलग-अलग नारे हैं। हम एक दूसरे का सम्मान करते हैं।

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जय सिया राम,जय राम जी की,राम नाम सत्य है आदि नारों का धार्मिक और सामाजिक अर्थ है। हम इन मनोभावों का आदर करते हैं, लेकिन भाजपा धार्मिक नारे, जय श्रीराम को विकृत रूप से अपने पार्टी के नारे के रूप में काम में लगा रही है तथा इसके माध्यम से धर्म और राजनीति को एक साथ मिला रही है। हम तथाकथित आर एस एस द्वारा दूसरों पर इन जबरदस्ती के थोपे गए राजनीति नारों का सम्मान नहीं करते हैं जिसे बंगाल ने कभी भी मान्यता नहीं दी। यह जानबूझकर बर्बरता और हिंसा के जरिये घृणा की विचारधारा को बेचने जैसा है जिसका हम सभी को मिलजुल कर विरोध करना चाहिए।

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कुछ लोग कभी-कभी कुछ समय तक कुछ लोगों को भ्रमित कर सकते हैं, लेकिन हमेशा सभी लोगों को भ्रमित नहीं किया जा सकता है। अब राजनैतिक कर्मियों को नियंत्रित करने के लिए सही कार्यवाई करने का समय आ गया है ताकि वे तथाकथित धर्म की आड़ लेकर लोगों में मतभेद पैदा करने के लिए विकृत विचारधारा का सहारा लेकर उपद्रव, अराजकता, हिंसा तथा सामान्य जनजीवन को नष्ट करने की गतिविधियों में शामिल न हों। यदि सभी राजनैतिक पार्टियाँ ऐसी विभेदात्मक और गड़बड़ी फ़ैलाने वाली गतिविधियों का सहारा लेने लगे तो पूरा वातावरण ही दूषित और अनुत्पादक हो जाएगा।

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हमें भाजपा के ऐसे क्रियाकलापों का मजबूती से विरोध करना चाहिए और हम ज़रूर करेंगे ताकि हमारे संविधान में प्रतिष्ठापित देश की धर्मनिरपेक्ष विशेषता को अक्षुण्ण रख सकें। मैं देश तथा राज्य के सभी लोगों से अपील करती हूँ कि घृणा की राजनीति को उचित जवाब दें तथा हमारे देश की महान संस्कृति और विरासत का सम्मान करें।
आइए, हम सभी अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व करें। जय हिन्द, जय बांग्ला, जय हे।