नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) विपक्ष के एक सांसद ने बुधवार को लोकसभा में आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार संस्थानों की स्वायत्तता में नहीं, बल्कि अधिकारों के केंद्रीकरण में विश्वास रखती है।
उन्होंने सदन में ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक, 2025’ पर चर्चा में भाग लेते हुए यह बात कही।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात के आणंद में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान को त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के रूप में विश्वविद्यालय का दर्जा देने और उसे राष्ट्रीय महत्व की संस्था घोषित करने के प्रावधान वाला विधेयक सदन में चर्चा और पारित करने के लिए प्रस्तुत किया।
इसे गत तीन फरवरी को लोकसभा में पेश किया गया था।
तृणमूल सांसद राय ने कहा, ‘‘सहकारिता मंत्री अमित शाह इस विधेयक को लाए हैं, यह अच्छी बात है लेकिन मेरा डर यह है कि क्या इसके जरिए सरकार अमूल की स्वतंत्रता तो नहीं ले लेगी।’’
उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा सरकर स्वायत्तता में नहीं, अधिकारों के केंद्रीकरण में विश्वास रखती है।
उन्होंने कहा कि उक्त विश्वविद्यालय की अकादमिक, प्रशासनिक और प्रबंधकीय स्वायत्तता रहनी चाहिए।
राय ने विश्वविद्यालय का नाम सहकारिता आंदोलन के जनक माने जाने वाले त्रिभुवन दास पटेल के नाम पर रखे जाने के कदम का स्वागत किया।
हालांकि, उन्होंने सत्तारूढ़ दल पर चुटकी लेते हुए यह भी कहा कि त्रिभुवन दास भाजपा के नहीं, कांग्रेस के सदस्य थे और पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार के समय उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
समाजवादी पार्टी के वीरेंद्र सिंह ने भी इस विधेयक के माध्यम से स्वायत्त संस्थाओं को कमजोर किए जाने की आशंका जताते हुए कहा कि सरकार को इस विधेयक में संस्थान के कुलपति की नियुक्ति, संचालक मंडल के सदस्यों की नियुक्ति आदि की बारे में स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए।
गुजरात के बनासकांठा संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस की सदस्य गनीबेन ठाकोर ने कहा कि यह विधेयक उनके गृह राज्य के लिए गौरव की बात है।
गुजरात के आणंद से भाजपा सांसद मितेश पटेल ने कहा कि त्रिभुवन दास पटेल के नेतृत्व में उनके संसदीय क्षेत्र में श्वेत क्रांति की शुरुआत हुई थी और आज अमूल दुनिया की सबसे बड़ी दुग्ध उत्पादक सहकारी संस्था बन गई है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का नाम त्रिभुवन दास पटेल के नाम पर रखने से सहकारिता क्षेत्र में उनके और अन्य लोगों के योगदान को सम्मान मिला है।
उन्होंने कहा कि अमूल की शुरुआत के समय जहां एक दिन में 250 लीटर दूध उत्पादन होता था, वहीं आज यह 60 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया है।
पटेल ने विश्वास जताया कि यह विश्वविद्यालय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर और विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण निभाएगा।
उन्होंने कांग्रेस को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आजादी के 75 साल बाद पहले सहकारिता प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना से स्पष्ट होता है कि जिन लोगों के हाथ में लंबे समय तक देश के विकास की जिम्मेदारी रही, वे देश के प्रति कितने गैर-जिम्मेदार रहे होंगे।
तेलुगु देशम पार्टी के एम श्रीभरत ने कहस कि इस विधेयक के पारित होने के बाद और भी राज्य ऐसे संस्थान खोलने के लिए आगे आएंगे।
विधेयक में सहकारी समितियों में प्रबंधकीय, पर्यवेक्षी, प्रशासनिक, तकनीकी, परिचालन में योग्यता प्राप्त कुशल श्रम शक्ति के लिए एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रावधान है।
इसके तहत गुजरात के आणंद में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान को त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के रूप में विश्वविद्यालय की स्थापना करने और उसे राष्ट्रीय महत्व की संस्था घोषित करने का प्रावधान है।
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि पिछले साढ़े तीन साल में सहकारिता मंत्रालय द्वारा सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई नई पहल की गई हैं।
इसमें कहा गया है कि सहकारी क्षेत्र में वर्तमान शिक्षा और प्रशिक्षण का बुनियादी ढांचा बिखरा हुआ है और सहकारी समितियों में योग्यता प्राप्त श्रम शक्ति की वर्तमान और भविष्य की मांग और मौजूदा कर्मियों की क्षमता निर्माण को पूरा करने के लिए बेहद अपर्याप्त है।
विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि इसलिए इस संबंध में एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना करके शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए एक व्यापक, एकीकृत और मानकीकृत संरचना की जरूरत है।
भाषा वैभव मनीषा
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