खतरे में भाजपा सरकार! इस बड़ी सहयोगी पार्टी ने वापस लिया समर्थन, बीजेपी में मची खलबली

NPP withdraws support from BJP government in manipur: मणिपुर में जारी हिंसा और संघर्ष के बीच, कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने रविवार को भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया।

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  • Publish Date - November 17, 2024 / 07:46 PM IST,
    Updated On - November 17, 2024 / 07:55 PM IST

नईदिल्ली: NPP withdraws support from BJP government मणिपुर में जारी हिंसा और संघर्ष के बीच, कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने रविवार को भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे एक आधिकारिक पत्र में एनपीपी ने कहा’ ‘मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर सरकार राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है। मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने तत्काल प्रभाव से मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है।”

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NPP withdraws support from BJP government वहीं अब यहां प्रश्न यह है कि एनपीपी के समर्थन वापस लेने के बाद क्या मणिपुर में एन बीरेन सिंह सरकार खतरे में आ गई है? तो आपको बता दें कि इसके ​लिए पहले आप यह आंकड़ा देखिए। 2022 में हुए मणिपुर विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो, बीजेपी ने 32, कांग्रेस ने 5, जदयू ने 6, नागा पीपुल्स फ्रंट ने 5 और कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी ने 7 सीटों पर जीत हासि की थी। इसके अलावा कुकी पीपुल्स एलायंस ने 2 और 3 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए थे।

जाहिर है कि 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 31 है और बीजेपी के पास खुद के 32 विधायक हैं। 2022 में विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद, जेडीयू के 6 में से 5 विधायक औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गए, जिससे असेंबली में बीजेपी के सदस्यों की संख्या 37 हो गई है।

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इस प्रकार मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पास अपने दम पर बहुमत है। एनपीपी के 7 विधायकों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद भी सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। लेकिन बीजेपी के लिए यह एक चिंता का विषय जरूर है। क्योंकि इसका नकारात्मक असर आने वाले महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव तक हो सकता हैं।