भाजपा ने बंगाल विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर पुनर्विचार की मांग की

भाजपा ने बंगाल विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर पुनर्विचार की मांग की

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  • Publish Date - November 22, 2024 / 06:06 PM IST,
    Updated On - November 22, 2024 / 06:06 PM IST

कोलकाता, 22 नवंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय से उपाध्यक्ष के पांच अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया, जिसमें भाजपा को विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी को हटाने की मांग करने वाले प्रस्ताव को लाने की अनुमति नहीं देने का कारण “समय की कमी” बताया गया था।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुरू में भारत के संविधान के अनुच्छेद 179 के अनुच्छेद (स) के तहत 30 जुलाई, 2024 को विधानसभा के प्रक्रिया नियमों के नियम 201(1) के साथ अध्यक्ष को हटाने के लिए नोटिस पेश किया था। पार्टी अब इस मामले को 25 नवंबर, 2024 को फिर से शुरू वाले सत्र में उठाए जाने पर जोर दे रही है।

अधिकारी ने अपने पत्र में इस बात पर प्रकाश डाला कि “नोटिस प्रस्तुत किए जाने के बाद से सदन को स्थगित नहीं किया गया है, उन्होंने जोर देकर कहा कि नोटिस वैध है”। उन्होंने विधानसभाध्यक्ष के कार्यालय से आगामी सत्र में इस मामले पर चर्चा की अनुमति देने का आग्रह किया, नोटिस को संबोधित करने के प्रक्रियात्मक और संवैधानिक महत्व पर जोर दिया।

मूल नोटिस में अध्यक्ष बिमान बनर्जी को हटाने पर बहस का आह्वान किया गया था, जिसे उपसभापति के प्रस्ताव पर चर्चा की अनुमति देने के खिलाफ फैसला देने के बाद अगस्त के सत्र में दरकिनार कर दिया गया था।

भाजपा के सूत्रों से पता चला है कि यह प्रस्ताव विधानसभा की कार्यवाही के संचालन में अध्यक्ष के पक्षपातपूर्ण रवैये से पार्टी की असंतुष्टि से उपजा है।

अधिकारी और उनके सहयोगियों ने स्पीकर बनर्जी पर विपक्षी सदस्यों की आवाज दबाने का आरोप लगाया है।

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने हालांकि आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा के इस कदम को विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया ‘राजनीतिक स्टंट’ करार दिया है।

संवैधानिक विशेषज्ञों ने बताया है कि अध्यक्ष को हटाने के लिए एक सावधानीपूर्वक निर्धारित प्रक्रिया की आवश्यकता होती है, जो प्रस्ताव पर विचार करने के लिए सदन की अनुमति से शुरू होती है।

विधानसभा में भाजपा की अल्पमत स्थिति को देखते हुए, क्योंकि 294 सदस्यीय सदन में उसके केवल 72 विधायक हैं, यदि मामले पर चर्चा की अनुमति दे भी दी जाए, तो भी प्रस्ताव पारित करने के लिए आवश्यक संख्या जुटाने के लिए उसे कठिन संघर्ष करना पड़ेगा।

भाषा प्रशांत नरेश

नरेश