नईदिल्ली। किसी का आशियाना उजड़ना बहुत तकलीफ दायक होता है लेकिन जब इस आशियाने के साथ ही बच्चों की जिंदगी ही खत्म हो जाए तो फिर दिलों में क्या गुजरती है यह बात एक वन्य प्राणी भी समझता है, लेकिन शायद हर इंसान को यह बात अभी तक समझ में नही आयी। तभी तो वह किसी का आशियाना उजाड़ने के पहले कुछ सोचता ही नही। बात केरल में पलक्कड़ रेलवे स्टेशन परिसर की है जहां गुलमोहर के एक पेड़ को काटकर सैकड़ों प्रवासी पक्षियों का आशियाना उजाड़ दिया गया। इस दौरान उनके घोषलों के साथ ही उनके अंडे भी टूट कर बिखर गए।
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पेड़ काटना कोई नई बात नही है, नई बात तो यह है कि घोसले और अंडों के विखर जाने के बाद पक्षी दो दिनों तक बिखरे अंडों के पास बैठे रहे। अब इस मामले में पेड़ काटने के आरोप में रेलवे के अधिकारियों और ठेकेदार के ऊपर मामला दर्ज कराया गया है। 1 अक्टूबर को पलक्कड़ रेलवे स्टेशन परिसर पर लगे गुलमोहर के पेड़ को काट दिया गया था। ये पेड़ काफी पुराना था। पेड़ काटे जाने से इसमें बने सौ से ज्यादा घोषले टूट गए और उनमें मैजूद अंडे टूटकर जमीन पर बिखर गए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पेड़ कटने के बाद प्रवासी पक्षी दो दिन तक वहीं बैठे रहे।
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रेलवे परिसर में काटे गए पेड़ की खबर जब पर्यावरण कार्यकर्ता बोबन मट्टूमंथा को मिली तो उन्होंने इसकी सूचना वन विभाग को दे दी। सूचना के बाद मौके पर पहुंचे वालयाल रेंज के वन अधिकारियों ने रेलवे स्टेशन के अधिकारियों और पेड़ काटने वाले ठेकेदार पर मामला दर्ज कराया है। बोबन मट्टूमंथा ने बताया पेड़ काटने से पहले वन विभाग से अनुमति लेनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
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खबर मिलने के बाद मौके पर पहुंचे वन विभाग के कर्मचारियों को अंडे के पास बैठे पक्षियों का वीडियो दिखाया गया। वन विभाग ने कई पक्षियों को घोंसलों से निकालकर दूसरी जगह पहुंचाया। नियम यह है कि, पक्षियों के प्रजनन काल के दौरान किसी भी पेड़ को काटने से पहले वन विभाग की टीम को सूचना देनी होती है। सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम उस जगह पहुंचती है और पेड़ का निरिक्षण करती है। जांच में देखा जाता है कि पेड़ पर मौजूद घोंसले में कोई अंडा तो नहीं है। इसके बाद अनुमति दी जाती है।