नई दिल्ली । 2020 का साल कोरोना काल के कारण वैसे ही अच्छी यादें देकर नहीं गया है और अब साल की शुरुआत में बर्ड फ्लू ने चिंता बढ़ा दी है। देश में मध्यप्रदेश,राजस्थान,केरल और हिमाचल प्रदेश में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। मध्यप्रदेश के 11 जिलों में हालात चिंताजनक हैं। वहीं कोरोना का खौफ कम नहीं हुआ है और बर्ड फ्लू की दस्तक से आम आदमी दहशत में है। बर्ड फ्लू को लेकर 7 राज्यों में हड़कंप मचा हुआ है। 4 राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। भोपाल की हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज लैब में राजस्थान, केरल और मध्यप्रदेश के पक्षियों के सैंपल पॉजिटिव मिले हैं। जिनमें बर्ड फ्लू का H5N8 वायरस मिले हैं। जबकि हिमाचल के सैंपल में H5N1 वायरस पाए गए हैं। केरल में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद बड़े पैमाने पर मुर्गों और बतखों को मारा जा रहा है। जम्मू कश्मीर और तमिलनाडु में भी अलर्ट जारी किया गया है। इन राज्यों से पक्षियों के सैंपल लिए जा रहे हैं।
क्या है बर्ड फ्लू-
बर्ड फ्लू को एवियन इन्फ्लूएंजा के नाम से भी जानते हैं। पक्षियों से एक दूसरे में फैलने वाले वाला वायरस बेहद संक्रामक होता है। इसके कई स्ट्रेन होते हैं, सबसे खतरनाक स्ट्रेन H5N1,प्रवासी पक्षियों के जरिए एवियन इन्फ्लूएंजा का एक देश से दूसरे देश में प्रसार होता है। पक्षियों के मल, नाक के स्राव, मुंह की लार या आंखों से निकलने वाली पानी के जरिए भी ये रोग फैलता है। हवा में उड़ते हुए भी जब पक्षी मल-मूत्र का त्याग करते हैं तो ये वायरस फैलता है।
मध्यप्रदेश के अलग-अलग इलाकों में बर्ड फ्लू तेजी से पैर पसार रहा है, पहले मालवा निमाड़ के उज्जैन,मंदसौर,आगर-मालवा,देवास,शाजापुर,खरगोन,खंडवा,इंदौर से कौवों के काफी संख्या में मरने की खबर आ रही थी, लेकिन अब इसका दायरा गुना और अशोकनगर तक फैल गया है। प्रदेश में अब तक करीब 400 कौवों की मौत हो चुकी है। कुछ जगह पर कौवों में बर्ड फ्लू के वायरस की भी पुष्टि हो चुकी है, लेकिन राहत की बात ये है कि किसी दूसरे पक्षी में इस वायरस की पुष्टि नहीं हुई है।
एक नजर में देखें वर्तमान स्थिति –
*मध्यप्रदेश में 23 दिसंबर से 3 जनवरी तक 376 कौवों की मौत
*इंदौर में सबसे ज्यादा 142 मौतें, मंदसौर में 100 कौवे मरे
*आगर-मालवा-112, खरगोन- 13, सीहोर में 9 कौओं की मौत
*हिमाचल प्रदेश में पॉन्ग डैम की झील में हजारों प्रवासी पक्षी मरे
*हरियाणा में करीब एक लाख मुर्गी और चूजों की मौत
*गुजरात के जूनागढ़ में 53 पक्षी मृत हालत में मिले
*केरल में अब तक करीब 1700 बत्तखों की मौत
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बर्ड फ्लू के लक्षण?
* तेज बुखार, खांसी, गले में खरास
*मितली, उल्टी, सिर दर्द, जोड़ों का दर्द होना
*पेट के निचले हिस्से में दर्द
*बुखार, नाक बहना
*सिर और मांसपेशियों में दर्द
*सांस लेने में तकलीफ
*उल्टी, दस्त लगना
*गले में सूजन
इनसोमनिया और आंखों का संक्रमण भी इसके लक्षण दर्शाते हैं। संक्रमित होने के 2-8 दिनों के बाद लक्षण सामने आते हैं। संक्रमित लोगों को सामान्य फ्लू जैसे लक्षण होते हैं। बच्चों को भी तकरीबन यही लक्षण सामने आते हैं। ये वायरल संक्रमण बढ़कर न्यूमोनिया हो सकता है। बर्ड फ्लू न्यूमोनिया का बहुत आक्रामक शक्ल की वजह बनता है जो अक्सर घातक होता है।
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कैसे होता है बर्ड फ्लू के मरीज का इलाज?
बर्ड फ्लू से संक्रमित मरीजों को विशेष देखभाल के तहत इलाज की जरूरत होती है। बर्ड फ्लू के मरीज का इलाज अस्पताल में रखकर ही किया जाता है।
एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिवीर से बर्ड फ्लू से संक्रमित मरीज को राहत दे सकती है। लेकिन ध्यान रहे कि इसका इस्तेमाल डॉक्टरी निगरानी में ही किया जाना चाहिए। बता दें कि अमेरिका में एफडीए ने साल 2007 में बर्ड फ्लू की वैक्सीन को मंजूरी थी,लेकिन यह वैक्सीन सहजता से उपबल्ध नहीं है। पोल्ट्री फार्म में काम कर रहे लोगों को इसके लिए विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
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मध्यप्रदेश में बर्ड फ्लू से हालात बिगड़ते देख मुख्यमंत्री ने आपात बैठक भी बुलाई थी। बैठक में सीएम ने सभी कलेक्टर्स को जिले के पोल्ट्री फॉर्म संचालकों से चर्चा करने, बर्ड फ्लू को रोकने के लिए गाइड लाइन तैयार करने, सैंपल के तौर पर कुछ पॉल्ट्री फॉर्म का आकस्मिक निरीक्षण करने के निर्देश दिए। वहीं बेकाबू होते बर्ड फ्लू पर लगाम लगाने सीएम ने दक्षिण के सभी राज्यों से आने वाले मुर्गे-मुर्गियों पर रोक लगा दी है। दरअसल सरकार की कोशिश बर्ड फ्लू के संक्रमण को जिला स्तर पर ही नियंत्रित करने की है।
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छत्तीसगढ़ में बर्ड फ्लू की स्थिति-
वहीं देश के कई राज्यों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ में भी पशुपालन विभाग की ओर से अलर्ट जारी कर दिया गया है। एहतियातन छत्तीसगढ़ के 7 जिलों के शासकीय पोल्ट्री फार्मों से सैम्पल लेकर जांच करवाई गई है। हालांकि जांच में बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है। पशुपालन मंत्री रविन्द्र चौबे का कहना है कि छत्तीसगढ़ में बर्ड फ्लू के कोई संकेत नहीं मिले हैं, लेकिन एहतियातन जिला अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। पशुपालन मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं की पक्षियों की मौत पर संबंधित जगहों में सावधानी बरती जाए। साथ ही सभी पोल्ट्री फार्म में लगातार निगरानी बनाए रखें।
छत्तीसगढ़ राज्य में बर्ड फ्लू का अब तक कोई भी केस नहीं आया है। हालांकि विभिन्न राज्यों में बर्ड फ्लू का प्रसार होने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य में भी इसको लेकर अलर्ट जारी किया गया है। पशुधन विकास विभाग द्वारा बर्ड फ्लू के प्रवेश को रोकने के संबंध में सभी जिलों के कलेक्टरों एवं पुलिस अधीक्षकों सहित पशु चिकित्सा विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों को सीमावर्ती प्रदेश से पक्षियों के परिवहन पर कड़ी निगरानी रखने के साथ ही सभी शासकीय एवं अशासकीय कुक्कुट पालन प्रक्षेत्रों एवं पोल्ट्री व्यवसायी केन्द्रों का सर्विलेंस करने के निर्देश दिए गए हैं। बर्ड फ्लू के मामले में एहतियातन पशुधन विकास विभाग द्वारा राज्य के 7 जिलों में स्थित शासकीय पोल्ट्री फार्मों से एकत्र सैंपल की जांच में बर्ड फ्लू रोग का कोई भी लक्षण नहीं पाया गया है।
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कोरोना काल मे बर्ड फ्लू से निपटने के लिए और सख्ती की जरुरत है। लॉकडाउन की तर्ज पर बर्ड फ्लू से प्रभावित प्रदेशों में कुछ दिन मांसाहार बंद किया जा सकता है। सिर्फ पोल्ट्री फॉर्म पर सख्ती से इस वायरस से शायद ही निपटा जा सके। जिन प्रदेशों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी है, उस प्रदेश में मांसाहारी खाद्य पदार्थ का आना-जाना पूरी तरह बंद कर बर्ड फ्लू से संभावित नुकसान को न्यूनतम किया जा सकता है। वहीं पक्षियों के अनुकूल स्थितियां निर्मित करने की दिशा में सकारात्मक पहल किए जाने की जरुरत है।