नयी दिल्ली, 10 जनवरी (भाषा) आधुनिक भारत के टेक्सटाइल उद्योग में भारतीय परंपरा के साथ नए प्रयोग करते हुए ‘स्वेदशी वस्त्र’ डिजाइन में नये प्रतिमान स्थापित करने वाली बिमला ‘बिम’ बिसेल एक ऐसी दूरदर्शी शख्स थीं जिन्होंने ‘फैबइंडिया’ के माध्यम से भारतीय ब्रांड में सुंदरता के नये रंग भरे।
उनके दोस्तों, समकालीनों और जिस ब्रांड को उन्होंने नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, उससे जुड़े लोगों ने इस ऊर्जावान महिला को याद किया जो दिल्ली और उसके सामाजिक ताने-बाने का हिस्सा थीं।
बिसेल का बृहस्पतिवार को यहां निधन हो गया था। वह 93 वर्ष की थीं।
उन्हें जानने वाले सभी लोग प्यार से उन्हें ‘बिम’ कहकर बुलाते थे। उन्होंने अपने पति एवं फैबइंडिया के संस्थापक जॉन बिसेल को 1960 में घरेलू साज-सज्जा के सामान के निर्यात वाली कंपनी के रूप में ब्रांड स्थापित करने में मदद की थी।
पिछले कुछ दशकों में फैबइंडिया ने परिधान, फर्नीचर, खाद्य पदार्थ और यहां तक कि आभूषणों के क्षेत्र में भी विस्तार किया है और यह कई लोगों के लिए पसंदीदा ब्रांड बन गया है। भारतीय फैशन परंपरा, स्वदेशी वस्त्रों और डिजाइन के प्रति उनकी संवेदनशीलता ब्रांड के उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला में झलकती है।
फैबइंडिया ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘उन्हें अपने परिधानों, आभूषणों और अपने से जुड़ी विभिन्न चीजों के बीच रंगों में सामंजस्य बैठाना पंसद था। जब से उनके पति जॉन ने भारत के शिल्पकारों के साथ काम करने के अपने दृष्टिकोण को जीवन में उतारा, तब से वह फैबइंडिया की उत्साही प्रवर्तक और संरक्षक रहीं।’’
इसमें कहा गया है कि वह बिम ही थीं जिन्होंने आधुनिकता से ओतप्रोत स्वदेशी परिधान बनाने के लिए भारतीय कारीगरों और शिल्पकारों के साथ सहयोग करके जॉन के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया।
दस्तकारी हाट समिति की संस्थापक जया जेटली ने अपनी मित्र को जॉन बिसेल को प्रेरित करने वाले मार्गदर्शक और सौंदर्यप्रेमी के रूप में याद किया।
जेटली ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘बिम और मेरी मुलाकात जॉन बिसेल से शादी से पहले हुई थी। फैबइंडिया और हथकरघा से जुड़े काम के अलावा हमारे पारिवारिक संबंध थे। लेकिन वह निश्चित रूप से सौंदर्यप्रेमी थीं जिन्होंने जॉन को फैबइंडिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। वह एक दयालु, सौम्य, मददगार मित्र थीं, जिन्होंने मेरे छोटे बच्चों को ‘प्लेहाउस स्कूल’ नामक अपनी नर्सरी में समय बिताने के लिए आमंत्रित किया था। उस समय हम श्रीनगर की जबरदस्त ठंड से बचने के लिए दिल्ली आए थे।’’
बिम का करियर सिर्फ फैबइंडिया तक सीमित नहीं था। टेक्सटाइल ब्रांड से पहले, बिम ने दिल्ली में अमेरिकी राजदूतों के लिए एक सामाजिक सचिव के रूप में काम किया था और बाद में 1975 से 1996 तक विश्व बैंक से जुड़ी रहीं।
जापानी सरकार के कोष और विश्व बैंक की मदद से बिम ने 1992 में महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन ‘उद्योगिनी’ की स्थापना की।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर ‘‘साहसी, कर्मठ और मजबूत बिम बिसेल के निधन पर शोक व्यक्त किया, जिन्होंने फैबइंडिया को भारत के सबसे प्रसिद्ध ब्रांड में से एक बनाने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किये।
भारतीय पारंपरिक शिल्प को पुनर्जीवित करने वाली एक महत्वपूर्ण हस्ती लैला तैयबजी ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि बिम ‘‘जीवन के प्रति उत्साही, मेहमाननवाज़ी, बुद्धिमत्ता और दोस्ती का पर्याय थीं।’’
तैयबजी ने कुछ महीने पहले दोपहर के भोजन पर बिम से हुई मुलाकात को याद किया, जहां वह “अपनी व्हीलचेयर पर मुस्कुराती हुई आई थीं’’।
लेखिका मृणाल पांडे ने बिम को ‘‘गर्मजोशी से भरी, शालीन, कलाप्रेमी और युवाओं की एक उत्कृष्ट शिक्षिका और मार्गदर्शक’’ के रूप में याद किया।
पत्रकार एवं तृणमूल कांग्रेस सांसद सागरिका घोष ने कहा कि वह सभी लोगों की प्रिय थीं।
घोष ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘मेरी प्यारी बिम, मैं आपको हर दिन याद करूंगी।’’
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश