नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज की निंदा करते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार पर निशाना साधा तथा आरोप लगाया कि सरकार की नाकामी को छिपाने के लिए इस कृत्य को अंजाम दिया गया है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दृष्टिकोण सिर्फ अपनी कुर्सी बचाना है।
बीपीएससी की ओर से 13 दिसंबर को आयोजित संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा (पीएससी) के प्रश्नपत्र लीक होने का दावा करने वाले अभ्यर्थियों ने परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर बुधवार को पटना में विरोध-प्रदर्शन किया, जिस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजीव मिश्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था कि पुलिसकर्मियों को प्रदर्शनकारियों पर उस समय लाठीचार्ज करना पड़ा, जब उनमें से कुछ बैरिकेड तोड़कर बीपीएससी कार्यालय तक पहुंच गए और यातायात बाधित किया।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लाठीचार्ज का वीडियो साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मैंने संसद में कहा था कि जिस तरह एकलव्य का अंगूठा कटवाया गया था उसी तरह पेपर लीक करवाकर युवाओं का अंगूठा काटा जाता है। इसका ताज़ा उदाहरण बिहार है। बीपीएससी अभ्यार्थी पेपर लीक के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं और परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए छात्रों पर ही लाठीचार्ज करवा रही है।
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘यह बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम उनके साथ हैं और उन्हें न्याय दिलाने के लिए लड़ेंगे।’’
प्रियंका गांधी ने अपने व्हाट्सएप चैनल पर पोस्ट किया, ‘हाथ जोड़ रहे युवाओं पर इस तरह लाठी चलाना क्रूरता की पराकाष्ठा है। भाजपा राज में रोजगार मांगने वाले युवाओं को लाठियों से पीटा जाता है। उत्तर प्रदेश हो, बिहार हो या मध्यप्रदेश, युवा अगर अपनी आवाज उठाते हैं तो उन्हें बर्बरता से पीटा जाता है। ‘
उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे युवा देश के नौजवानों का भविष्य क्या होगा, यह सोचना और उनके लिए नीतियां बनाना सरकारों का काम है।
प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया, ‘भाजपा के पास सिर्फ कुर्सी बचाने का दृष्टिकोण है। जो मांगेगा रोजगार, उस पर होगा अत्याचार।’
भाषा हक हक रंजन
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