जीएसटी की सबसे बड़ी मार मध्यम एवं गरीब तबके पर पड़ी: पवन खेड़ा

जीएसटी की सबसे बड़ी मार मध्यम एवं गरीब तबके पर पड़ी: पवन खेड़ा

  •  
  • Publish Date - January 9, 2025 / 05:31 PM IST,
    Updated On - January 9, 2025 / 05:31 PM IST

जयपुर, नौ जनवरी (भाषा) कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा नीत सरकार द्वारा लागू किए गए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की सबसे अधिक मार देश के मध्यम एवं गरीब तबके पर पड़ी है।

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जीएसटी अब ‘गब्बर सीतारमण टैक्स’ का पर्याय बन गया है।

उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार ‘एक राष्ट्र-एक कर’ की बात करती है लेकिन एक ‘पॉपकॉर्न’ पर ही कर के तीन ‘स्लैब’ हैं।

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख खेड़ा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘आप देश भर में किसी भी दुकानदार या ग्राहक से बात करें… वे जीएसटी से परेशान हैं। मध्यम वर्ग को, छोटे व्यापारी को, गरीब तबके को सबसे ज्यादा चोट इस जीएसटी से पहुंची है।’’

उन्होंने कहा,‘‘जीएसटी की ज्यादा मार मध्यम वर्ग पर, छोटे व्यापारियों पर, मुझ पर, आप पर और हम सब पर पड़ रही है।’’

वह संसद में बजट सत्र से पहले इस मुद्दे को उठाने के लिए कांग्रेस की पहल के तहत यहां आए थे।

उन्होंने कहा, ‘जीएसटी ‘गब्बर सीतारमण टैक्स’ है। इसकी वजह से हर किसी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस कर प्रणाली से चीजें सरल होनी चाहिए थीं लेकिन ठीक इसके उलटा हो रहा है।’’

उन्होंने दावा किया कि देश में जीएसटी लागू हुए 90 महीने हो गए हैं और इस दौरान औसतन हर रोज कर से जुड़ा एक नया परिपत्र जारी कर चीजों को स्पष्ट किया गया है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि 2021-22 में कुल जीएसटी का लगभग 64 प्रतिशत हिस्सा देश की 50 प्रतिशत आबादी से आया जबकि उसका केवल 10 प्रतिशत हिस्सा तीन प्रतिशत बड़े या अमीर लोगों से आया।

खेड़ा का कहना था कि कुल नौ जीएसटी ‘स्लैब’ हैं और यह पहली बार है कि किसानों के उपकरण एवं ट्रैक्टर जीएसटी के दायरे में आए हैं।

उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है, कांग्रेस के अलावा कोई राजनीतिक दल मध्यम वर्ग के लिए आवाज नहीं उठाता।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी मध्यम वर्ग के ऊपर इस तरह की बेतहाशा चोट के खिलाफ पूरे देश में आवाज उठाएगी और उठा रही है।

खेड़ा ने कहा, ‘‘इस बजट सत्र से पहले हम जानबूझकर इस मुद्दे को और ज्यादा बढ़ा रहे हैं ताकि बजट सत्र में पूरी संसद का ध्यान इसकी तरफ जाए। ’’

एक सवाल के जवाब में उन्होंने केंद्र सरकार को ‘डरपोकों एवं कायरों की सरकार’ भी करार दिया।

भाषा पृथ्वी राजकुमार

राजकुमार