Jammu and Kashmir Assembly Elections : नई दिल्ली। साल 2023 में कर्नाटक, मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हुए। इसके बाद 2024 में आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में चुनाव हुए। अब बारी है जम्मू-कश्मीर की। आज भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) का एक दल जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा करने और राजनीतिक दलों से प्रतिक्रिया लेने के लिए पहुंचा।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में दल आज सुबह यहां पहुंचा। यह दल ‘शेर ए कश्मीर अंततराष्ट्रीय सभागार’ (एसकेआईसीसी) में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगा। जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय ने मंगलवार को विभिन्न राजनीतिक दलों को पत्र जारी कर उन्हें ईसीआई के साथ बैठक के लिए आमंत्रित किया था। राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग के साथ बैठक के लिए समय दिया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेंकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), भाजपा, कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर पैंथर्स पार्टी सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि ईसीआई टीम से मिलने के लिए एसकेआईसीसी पहुंचे। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पी के पोले सहित पुलिस और नागरिक प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी भी एसकेआईसीसी पहुंचे।
केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा 30 सितंबर को दी गई समय सीमा से कुछ सप्ताह पहले, निर्वाचन आयोग विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करेगा। कुमार के साथ चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और एस एस संधू भी हैं। आयोग सभी जिलों के चुनाव अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ-साथ मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ तैयारियों की समीक्षा भी करेगा। निर्वाचन आयोग के सदस्यों की तीन दिवसीय यात्रा का समापन 10 अगस्त को जम्मू में होगा, जहां वे प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समीक्षा बैठक करेंगे।
जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनावों में रिकॉर्ड मतदान के बाद, कुमार ने कहा था, ‘‘यह सक्रिय भागीदारी जल्द ही होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए एक बहुत बड़ी सकारात्मक बात है ताकि केंद्र शासित प्रदेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया जारी रहे।’’ राजनीतिक दलों के साथ बैठक के अलावा आयोग मुख्य निर्वाचन अधिकारी और केंद्रीय बल समन्वयक के साथ भी स्थिति की समीक्षा करेगा।
जम्मू और कश्मीर में दस साल के अंतराल के बाद चुनाव होने जा रहे हैं। यहां पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था। जम्मू-कश्मीर जून 2018 से केंद्र के शासन के अधीन है और अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के तहत इसका विशेष दर्जा रद्द कर दिया गया था, जिससे इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था।
2019 के बाद से चुनाव निकाय का जम्मू-कश्मीर का यह तीसरा दौरा है। इससे पहले, चुनाव आयोग की टीम 2019 और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारियों का जायजा लेने आई थी। दोनों बार, चुनाव आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश में एक साथ चुनाव कराने से इनकार कर दिया था।