नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था और जीडीपी को लेकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बयान दिया है। उनके मुताबिक आर्थिक मंदी को लेकर वे चिंतित नहीं है। प्रणब मुखर्जी के अनुसार कुछ चीजें हैं जिनका असर दिख रहा है। प्रणब दा ने आर्थिक मंदी दूर करने के लिए सरकारी बैंकों में पूंजी डालने की जरूरत बताई है।
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प्रणब दा बुधवार को भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये बयान दिया है। उन्होंने साल 2008 का हवाला देते हुए कहा है 2008 में आर्थिक संकट के दौरान भारतीय बैंकों ने लचीलापन दिखाया था। उन्होंने कहा, ‘तब मैं वित्त मंत्री था। सार्वजनिक क्षेत्र के एक भी बैंक ने धन के लिए मुझसे संपर्क नहीं किया। मुखर्जी ने कहा कि अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
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लोकतंत्र में समस्याओं के समाधान के लिए बातचीत महत्वपूर्ण है। वार्ता अपरिहार्य है। साथ ही लोकतंत्र में आंकड़ों की शुचिता भी उतनी ही अहम है। उन्होंने कहा, आंकड़ों की शुचिता बनाए रखनी चाहिए, अन्यथा विनाशकारी प्रभाव होंगे।
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दो युवतियों के मर्डर से दहशत
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