Ajmer Dargah: ‘कभी मथुरा कभी काशी…हर जगह इन्हें मंदिर ही नजर आता है….हमेशा रहेगी गरीब नवाज की दरगाह’ अजमेर में मंदिर के दावे पर भड़के अंजुमन कमेटी के सरवर चिश्ती

Ajmer Dargah: 'कभी मथुरा कभी काशी...हर जगह इन्हें मंदिर ही नजर आता है....हमेशा रहेगी गरीब नवाज की दरगाह' अजमेर में मंदिर के दावे पर भड़के अंजुमन कमेटी के सरवर चिश्ती

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  • Publish Date - November 29, 2024 / 02:55 PM IST,
    Updated On - November 29, 2024 / 02:55 PM IST

नई दिल्ली: Ajmer Dargah एक तरफ उत्तर प्रदेश कें संभल में शाही ईदगाह के स्थान पर मंदिर होने का दावा गर्माया हुआ है। वहीं दूसरी ओर राजस्थान के अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में भी संकट मंदिर होने का दावा किया गया है। जिसके बाद अब अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि आज 27 नवंबर 2024 को जो अजमेर कोर्ट में एक हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने एक पिटीशन फाइल की थी कि राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में मंदिर है। उनके इस दावे को कोर्ट ने स्वीकार भी कर ली है।

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Ajmer Dargah अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि हम उनके इस दावे को स्वीकार करके चल रहे थे, क्योंकि संभल के शाही मस्जिद में एक पिटीशन फाइल की गई डेढ़ बजे और शाम को कमिश्नर-डीएम इसको लेकर सर्वे करने भी चला गया। रिपार्ट भी तैयारी हुई जिसके तीन दिन बाद नारे लगाते हुए आए वो आपके सामने है।

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अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने आगे कहा कि कभी मथुरा कभी काशी, बाबरी मस्जिद के फैसला आने के बाद हमने कड़वा घुट पी लिया था और मान लिया था कि देश हित में ये सोच रहे थे कि अब कुछ नहीं होगा लेकिन ये तो थमने का नाम नहीं ले रहा है। 22 जून को मोहन भागवत ने कहा था कि हर मस्जिद में आप शिव लिंग तलाश न करें। ये कसूर जो रिटायर्ट सीजीआई मिस्टर चंदचूर का है प्लेसेज़ आफ वरशिप 91 एक्ट बन गया है कि सिर्फ बाबरी मस्जिद को छोड़ के 1947 तक तो स्टेट हो रहा है। जितनी भी रिलीजस प्लेसेस रहेगा फिर ये चीजे करने की क्या जरूरत है।

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अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जो दरगाह है ​कंपनी हार्मनी का डायवस्ट्री का और संप्रदायिक एकता और भाईचारे का प्रतीक है। यूनिटी और डायवस्ट्री को प्रमोट करता है। लेकिन उसके साथ साथ अफगानिस्तान से लेकर इंडोनेशिया तक सबमें स्लाम का मर्कस भी है। इसकी करोड़ों अरबों अनुयायी है, तो ये कोई तमासे वाली बात तो है नहीं कि ये रोज रोज का तमाशा होता रहेगा। इन्होने तीन लोगों को नोटिस भेजा है 20 दिसंबर इसकी तारीख है। ये दरगाह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतगर्त तो आती नहीं है। ministry of minority affairs में आती है।

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उन्होंने कहा कि बड़े बड़े दौर देखे है हमने पर कुछ नहीं हुआ। 11 अक्टूबर 2007 को दरगाह के पास बम ब्लास्ट हुआ, जिसमें हमारे भी लोग मारे गए थे। इससे भी उनका दिल नहीं भरा तो पिछले तीन साल से दरगाह को लेकर यह शख्स इसी तरह की बयानबाजी कर रहा है। हर जगह इन्हे मंदिर नजर आता है, सदियों पुरानी मस्जिदों में भी अब ये लोग इस तरह की हरकते कर रहा है। लेकिन यह चीज देश हित में नहीं है। इंशाल्लाह किसी की मुरादें पूरी नहीं होगी, ये गरीब नवाज की दरगाह थी, है और रहेगी।

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