साधुओं पर ममता की टिप्पणी से उपजे विवाद के बाद भारत सेवाश्रम संघ ने कहा, हम किसी के खिलाफ नहीं

साधुओं पर ममता की टिप्पणी से उपजे विवाद के बाद भारत सेवाश्रम संघ ने कहा, हम किसी के खिलाफ नहीं

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  • Publish Date - May 21, 2024 / 07:05 PM IST,
    Updated On - May 21, 2024 / 07:05 PM IST

कोलकाता, 21 मई (भाषा) भारत सेवाश्रम संघ ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की साधुओं के बारे में की गई विवादास्पद टिप्पणी से उपजे विवाद को खत्म करने का प्रयास किया। उसने कहा कि एक परोपकारी संस्था के रूप में वह किसी के खिलाफ नहीं है।

मुर्शिदाबाद जिले के संघ के एक साधु ने राज्य में कुछ सामाजिक-धार्मिक संगठनों के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर काम करने के बारे में टिप्पणी करने के लिए बनर्जी को कानूनी नोटिस भेजा था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को मुख्यमंत्री पर ‘इस्लामिक चरमपंथियों के दबाव में काम करने’ का आरोप लगाया था। प्रधानमंत्री ने ममता को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वोट बैंक के तुष्टिकरण के लिए साधुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराया था।

इसके बाद बनर्जी ने साफ किया कि उनकी आलोचना का विषय कुछ व्यक्तिगत साधु थे जो ‘भाजपा के निर्देशों’ के तहत काम कर रहे थे, लेकिन वह किसी संस्था के खिलाफ नहीं थीं।

सेवाश्रम के प्रमुख सचिव विश्वात्मानंद महाराज, जिन्हें दिलीप महाराज के नाम से भी जाना जाता है, ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘गलत संवाद के कारण कुछ व्यक्तिगत विचार और राय उत्पन्न हो सकते हैं, लेकिन भारत सेवाश्रम संघ इसमें शामिल नहीं है। एक परोपकारी संस्था के रूप में हम किसी के खिलाफ नहीं हैं।’’

उन्होंने संघ की गतिविधियों को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए केंद्र और राज्य सरकार, दोनों की सराहना की। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी हमेशा सहयोगी रही हैं।

संघ के सूत्रों ने कहा कि सोमवार को बनर्जी द्वारा अपना रुख नरम करने के बाद संगठन को विवाद को जारी रखने का कोई कारण नहीं नजर आया।

पिछले हफ्ते आरामबाग के गोघाट में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करने के दौरान मुख्यमंत्री ने दावा किया था, ‘‘रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ के कुछ साधु दिल्ली में भाजपा नेताओं के प्रभाव में काम कर रहे हैं।’’

बनर्जी ने स्वामी प्रदीप्तानंद का नाम लिया जो मुर्शिदाबाद में बेलडांगा मठ से काम करने वाले संघ के एक वरिष्ठ साधु हैं।

बनर्जी ने कार्तिक महाराज के नाम से जाने जानेवाले स्वामी प्रदीप्तानंद पर आरोप लगाया कि जब बहरामपुर सीट पर मतदान हुआ तो उन्होंने टीएमसी के चुनाव एजेंटों को रेजीनगर में एक मतदान केंद्र के अंदर बैठने की अनुमति नहीं दी। इसके बाद कार्तिक महाराज ने 13 मई को मुख्यमंत्री को कानूनी नोटिस भेजकर उनसे सार्वजनिक माफी की मांग की।

बनर्जी ने सफाई देने के साथ सोमवार को अपनी बात पर कायम रहते हुए कहा था कि साधु ने संघ द्वारा समर्थित अध्यात्मवाद का प्रचार करते हुए भाजपा के लिए समर्थन जुटाया। उन्होंने कहा था, ‘‘अगर आप ऐसा करते हैं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन आपको ऐसा भाजपा का बैज पहनकर करना चाहिए, साधु बनकर नहीं।’’

इस बीच रविवार तड़के अज्ञात बदमाशों ने कथित तौर पर जलपाईगुड़ी जिले के रामकृष्ण मिशन परिसर में बंदूक के बल पर साधुओं और अन्य कर्मचारियों को धमकी दी।

हमले की निंदा करते हुए प्रधानमंत्री ने टीएमसी सरकार पर आरोप लगाया कि वह अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए साधुओं के बीच आतंक कायम कर रही है।

झाड़ग्राम में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को दावा किया था कि बनर्जी रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ के साधुओं के खिलाफ ‘धमकी दे रही हैं’, जिससे टीएमसी के गुंडे आश्रम पर हमला करने की हिम्मत कर रहे हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ ‘सेवा और नैतिकता के लिए जाने जाते हैं, लेकिन आज बंगाल की मुख्यमंत्री उन्हें खुलेआम धमकी दे रही हैं। यह वोट बैंक को खुश करने के लिए किया जा रहा है। जब मुख्यमंत्री खुद साधुओं को धमकी दे रही हैं, तो टीएमसी के गुंडे अब रामकृष्ण मिशन पर हमला करने का दुस्साहस कर रहे।’’

भाषा संतोष माधव

माधव