कोलकाता, 24 दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल पुलिस ने निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन के इस आरोप को मंगलवार को खारिज कर दिया कि राज्य सरकार ने उनके विवादास्पद उपन्यास ‘लज्जा’ पर आधारित एक नाटक के शो रद्द कर दिए।
पुलिस ने स्पष्ट किया कि ‘लज्जा’ पर आधारित नाटक को नाट्य उत्सवों में दिखाए जाने वाले नाटकों की सूची से हटाने का फैसला पूरी तरह से आयोजकों का था।
हुगली (ग्रामीण) और बारासात पुलिस जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि जिला प्रशासन या पुलिस विभाग में किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि ‘लज्जा’ पर आधारित नाटक के सारे शो रद्द कर दिए गए हैं।
एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “हम हुगली के ग्रामीण इलाकों में किसी नाटक के मंचन के सिलसिले में न तो कहीं गए थे और न ही किसी से बात की थी। यह पूरी तरह से क्लब अधिकारियों का फैसला है और पुलिस प्रशासन का इससे कोई लेना-देना नहीं है।”
तसलीमा ने सोमवार को आरोप लगाया था कि बंगाल पुलिस ने सांप्रदायिक दंगे भड़कने की आशंका जताते हुए उत्तर 24 परगना में गोबरदंगा नाट्योत्सव और हुगली में पांडुआ नाट्योत्सव के आयोजकों पर ‘लज्जा’ पर आधारित नाटक को कार्यक्रम से हटाने का दबाव डाला।
उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था, “नाटक के मंचन का कार्यक्रम दो महीने पहले ही घोषित कर दिया गया था, लेकिन अचानक पुलिस ने हस्तक्षेप किया और आयोजकों पर ‘लज्जा’ को सूची से हटाने का दबाव डाला। मैं आपको याद दिला दूं कि दिल्ली में एक थिएटर समूह ने खचाखच भरे सभागार में इसी नाटक का तीन बार मंचन किया था।”
पांडुआ क्लब के एक अधिकारी ने बताया कि ‘लज्जा’ पर आधारित नाटक का मंचन 29 दिसंबर को किया जाना था, लेकिन “कुछ विशिष्ट कारणों से इसके सारे शो रद्द कर दिए गए हैं।”
अधिकारी ने फैसले के पीछे की वजहों के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “हमने सोशल मीडिया साइट पर इस संबंध में एक नोटिस जारी किया है। हम जल्द ही वैकल्पिक नाटक की घोषणा करेंगे।”
बारासात के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने तसलीमा के दावों को “बेबुनियाद” करार दिया। उन्होंने कहा, “बारासात में ऐसी कोई चीज नहीं हुई। यह दुष्प्रचार है और उनके दावे बेबुनियाद हैं।”
भाषा पारुल नरेश
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