बंगाल: चिकित्सकों ने कहा- सामूहिक इस्तीफा ‘प्रतीकात्मक’, स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी हद तक कोई असर नहीं

बंगाल: चिकित्सकों ने कहा- सामूहिक इस्तीफा ‘प्रतीकात्मक’, स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी हद तक कोई असर नहीं

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  • Publish Date - October 9, 2024 / 05:23 PM IST,
    Updated On - October 9, 2024 / 05:23 PM IST

( तस्वीरों सहित )

कोलकाता, नौ अक्टूबर (भाषा) पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बुधवार को दावा किया कि राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा अपने कनिष्ठ समकक्षों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए दिए गए सामूहिक इस्तीफे से इन चिकित्सा प्रतिष्ठानों में स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है।

अधिकारी ने बताया कि पूरे राज्य में जारी दुर्गा पूजा उत्सव के कारण बाह्य रोगी विभाग में मरीजों की संख्या काफी कम रही, हालांकि वरिष्ठ और कनिष्ठ चिकित्सक, आरएमओ और सहायक प्रोफेसर अपनी नियमित ड्यूटी के लिए पश्चिम बंगाल के अस्पतालों में मौजूद थे।

स्वास्थ्य अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमें किसी भी चिकित्सक की ओर से उनके सामूहिक इस्तीफे के संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक संदेश नहीं मिला है। सामूहिक इस्तीफे की पेशकश करने का ऐसा कोई नियम नहीं है। अगर लोग इस्तीफा देना चाहते हैं तो उन्हें एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करना होगा। हालांकि, स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं हुईं क्योंकि आज किसी भी अस्पताल में कोई भी डॉक्टर अनुपस्थित नहीं था।’’

कोलकाता मेडिकल कॉलेज रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अनुसार, कोलकाता में कई चिकित्सकों और संकाय सदस्यों ने मंगलवार को सामूहिक रूप से इस्तीफा देने वाले आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अपने सहयोगियों का अनुसरण करते हुए चिकित्सा शिक्षा निदेशक को अपना सामूहिक इस्तीफा भेज दिया।

सिलीगुड़ी में उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लगभग 35 चिकित्सकों ने भी कोलकाता में कनिष्ठ चिकित्सकों के विरोध के समर्थन में सामूहिक इस्तीफा दे दिया। यह जानकारी चिकित्सा इकाई के चिकित्सकों के फोरम ने दी।

चिकित्सकों के सामूहिक इस्तीफे में लिखा है, ‘‘हम, उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के शिक्षक ऐसी दमनकारी परिस्थितियों में अपनी सेवाएं जारी रखने को लेकर निराश और हतोत्साहित हैं। हमारे छात्र और जूनियर आपदा के कगार पर खड़े हैं, हम उच्च अधिकारियों से उनकी मांगों का समाधान करने और बिना किसी देरी के इस संकट का समाधान सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं।’’

इसमें लिखा है, ‘‘हालांकि, अब तक ऐसा कोई प्रयास नहीं देखा गया है, हम आपसे अनुरोध करते हैं कि कृपया पश्चिम बंगाल चिकित्सा शिक्षा सेवा से हमारा इस्तीफा स्वीकार करें।’’

आरजी कर अस्पताल में आर्थोपेडिक विभाग में नियमित रूप से आने वाले मुर्शिदाबाद के एक मरीज ने कहा कि जिस डॉक्टर से वे पिछले 4-5 वर्षों से परामर्श कर रहे थे, वह निर्धारित समय के अनुसार ओपीडी में उपस्थित थे। एक अन्य मरीज, जिसका पहले से ही कैंसर से संबंधित उपचार निर्धारित था, को भी अस्पताल में देखा गया।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. सुनीत हाजरा ने बताया कि इस्तीफों का उद्देश्य राज्य सरकार पर दबाव डालना था, जिसने कनिष्ठ चिकित्सकों की जारी भूख हड़ताल के दौरान चुप्पी साधे रखी है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा इस्तीफा प्रतीकात्मक है, जिसका उद्देश्य सरकार को चर्चा में शामिल होने के लिए प्रेरित करना है। हम नहीं चाहते कि मरीजों को परेशानी हो। हम उनका इलाज कर रहे हैं और ऐसा करना जारी रखेंगे क्योंकि यह हमारा कर्तव्य है और हम नैतिक रूप से ऐसा करने के लिए बाध्य हैं।’’

त्योहारों के दौरान अस्पतालों के कामकाज के तरीके के बारे में हाजरा ने कहा कि ड्यूटी रोस्टर को यह ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाता है कि हर कोई त्योहारों का हिस्सा बन सके।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हम जानते हैं कि डॉक्टर की अनुपस्थिति में उसकी जगह कैसे भरी जाए। अस्पतालों में, डॉक्टर के लिए हमेशा एक बैकअप होता है। अगर कोई अनुपस्थित है, तो हम उसकी जगह तत्काल किसी की ड्यूटी लगाते हैं ताकि स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित न हों।’’

पश्चिम बंगाल के चिकित्सकों के संयुक्त मंच के संयुक्त संयोजक डॉ. हीरालाल कोनार ने कहा, ‘‘यह (सामूहिक इस्तीफा देना) कुछ युवा चिकित्सकों के आमरण अनशन पर होने के बावजूद राज्य में शांति के बाद चिकित्सकों के बीच फैल रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वरिष्ठ चिकित्सकों को एहसास हो गया है कि केवल सामूहिक इस्तीफ़ा ही राज्य सरकार को हिला सकता है। हम राज्य सरकार के आगे आने और जल्द से जल्द मुद्दों का समाधान करने का इंतज़ार कर रहे हैं ताकि भूख हड़ताल पर बैठे लोगों की जान को कोई ख़तरा न हो।’’

एक अन्य मरीज बिक्रमजीत चट्टोपाध्याय की एसएसकेएम अस्पताल में पेसमेकर बैटरी बदली जानी थी। उसने कहा कि ऑपरेशन तय समय के अनुसार है और बृहस्पतिवार को होगा।

दुर्गा पूजा के दौरान, ओपीडी केवल ‘अष्टमी’ (जो इस साल शुक्रवार को है) पर बंद रहती है और पूजा के दौरान बाकी दिनों में चालू रहती है। हालांकि, वरिष्ठ चिकित्सकों ने चेतावनी दी कि बुधवार तक राज्य द्वारा संचालित अस्पतालों में सेवाओं पर ज़्यादा असर नहीं पड़ा है, लेकिन यदि राज्य सरकार की ओर से कोई सार्थक प्रतिक्रिया नहीं आने पर आने वाले दिनों में स्थिति शायद ऐसी ना रहे।

आरजी कर अस्पताल के सहायक प्रोफेसर डॉ. संदीप सरकार ने कहा, ‘‘आज तक, हमने मरीजों और उनकी पीड़ा को ध्यान में रखते हुए काम किया है। हम चाहते हैं कि सरकार आगे आए और अपना कर्तव्य निभाए।’’

आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के कुल 54 वरिष्ठ चिकित्सकों ने मंगलवार को सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया। अगस्त में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के बाद पश्चिम बंगाल में डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

भाषा

अमित मनीषा

मनीषा