नयी दिल्ली, 28 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में संपन्न बस्तर ओलंपिक 2024 की सराहना करते हुए रविवार को कहा कि इस आयोजन ने युवाओं को प्रतिभा निखारने और नए भारत के निर्माण के लिए एक मंच दिया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले महीने इसी जिले में बस्तर ओलंपिक 2024 का आयोजन किया था। इस बहु-खेल आयोजन का उद्देश्य स्थानीय प्रतिभाओं की खोज करना, नक्सल प्रभावित बस्तर के आदिवासी युवाओं को मुख्यधारा में शामिल करना और लोगों और प्रशासन के बीच संबंधों को बेहतर बनाना था।
अपने मासिक ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बस्तर ओलंपिक का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि यह एक अनूठा आयोजन है और यह इस बात का प्रतीक है कि देश में बदलाव हो रहा है।
उन्होंने कहा, “क्या आप जानते हैं कि हमारे बस्तर में एक अनोखा ओलंपिक शुरू हो चुका है! जी हां, पहले बस्तर ओलंपिक के जरिए बस्तर में एक नई क्रांति आ रही है। साथियों, बस्तर ओलंपिक सिर्फ एक खेल आयोजन नहीं है। ये एक ऐसा मंच है जहां विकास और खेल एक साथ मिल रहे हैं, जहां हमारे युवा अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं और एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं।”
मोदी ने कहा कि यह उनके लिए बहुत खुशी की बात है कि बस्तर ओलंपिक का सपना साकार हो गया है।
उन्होंने कहा, “आपको यह जानकर भी खुशी होगी कि यह उस क्षेत्र में हो रहा है जो कभी माओवादी हिंसा का गवाह था।”
छत्तीसगढ़ का अविभाजित बस्तर जिला, जिसे अब सात जिलों में विभाजित कर दिया गया है, भौगोलिक दृष्टि से केरल से बड़ा है और देश के सबसे बुरी तरह नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है।
बस्तर ओलंपिक का शुभंकर ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’ हैं जो जिले की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखाता है।
खेल के इस महाकुंभ का मूल मंत्र है, ‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’ यानि ‘खेलेगा बस्तर – जीतेगा बस्तर’।
मोदी ने कहा कि इस आयोजन के पहले संस्करण में सात जिलों के 1,65,000 खिलाड़ियों ने भाग लिया था।
उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है – यह हमारे युवाओं के संकल्प की गौरव-गाथा है। एथलेटिक्स, तीरंदाजी, बैडमिंटन, फुटबॉल, हॉकी, भारोत्तोलन, कराटे, कबड्डी, खो-खो और वॉलीबॉल – हर खेल में हमारे युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है।”
प्रधानमंत्री ने खेल प्रतियोगिता में कई व्यक्तिगत पुरस्कार विजेताओं का भी उल्लेख किया।
उन्होंने एक छोटे से गांव से आने वाले कारी कश्यप, जिन्होंने तीरंदाजी में रजत पदक जीता, सुकमा की पायल कवासी, जिन्होंने भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता, तथा सुकमा की ही व्हीलचेयर दौड़ में पदक जीतने वाली पुनेम सन्ना, जो कभी नक्सल प्रभाव में थीं, के बारे में बात की।
उन्होंने कहा, “मैं आप सभी से अपने क्षेत्र में इस तरह के खेल आयोजनों को प्रोत्साहित करने का आग्रह करता हूं – अपने क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं की कहानियों को खेलेगा भारत, जीतेगा भारत के साथ साझा करें- स्थानीय खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर दें।
उन्होंने कहा, “याद रखें, खेल न केवल शारीरिक विकास करते हैं, बल्कि समाज को खेल भावना से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी हैं। इसलिए अच्छा खेलें और खूब खिलें।”
भाषा प्रशांत रंजन
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