बलिया। Hanumanji Ki Jati Kya Hai? : उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने शनिवार को अजीबोगरीब दावा करते हुए कहा कि हनुमान जी राजभर जाति में पैदा हुए थे। राजभर ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के ‘आंबेडकर प्रेम’ को लेकर पलटवार करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी को वर्ष 2012 से पहले आंबेडकर के नाम से इतनी चिढ़ थी कि मंचों से कहा करती थी कि लखनऊ में बने आंबेडकर पार्क को सत्ता में आने पर गिरा कर शौचालय का निर्माण करेगी।
राजभर ने शनिवार को जिले के चितबड़ागांव क्षेत्र के वासुदेवा गांव के मुख्य द्वार पर महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा निर्माण के लिए आयोजित भूमि पूजन और जनसभा को संबोधित करते हुए हनुमान जी को लेकर एक अजीबोगरीब दावा किया है। उन्होंने कहा कि हनुमानजी राजभर जाति में पैदा हुए थे। राजभर ने कहा, “जब राम लक्ष्मण जी को अहिरावण पाताल पुरी में ले गया था, तब पाताल पुरी से उन्हें निकालने की किसी की हिम्मत नहीं पड़ी।
अगर निकालने की हिम्मत पड़ी तो राजभर जाति में पैदा हुए हनुमान जी की ही पड़ी।” उन्होंने कहा, “गांव में बुजुर्ग आज भी छोटे बच्चों के झगड़ा करते समय बोलते हैं कि भर बानर हैं। हनुमान जी का रहलन बानर।” राजभर ने कार्यक्रम के उपरांत संवाददाताओं से कहा, कांग्रेस जिसने लाखों नेताओं और पत्रकारों को आपातकाल लगाकर जेल में डाला, संविधान की बात करती है।
ओम प्रकाश राजभर ने दावा किया कि हनुमान जी राजभर जाति में पैदा हुए थे, हालांकि यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक विवादास्पद बयान है और इसके पीछे कोई ऐतिहासिक या धार्मिक प्रमाण नहीं है।
ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि हनुमान जी राजभर जाति में पैदा हुए थे और पातालपुरी से राम और लक्ष्मण को निकालने की हिम्मत केवल राजभर जाति के हनुमान जी में थी।
यह बयान ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर आरोप लगाने के दौरान दिया। उन्होंने आंबेडकर के प्रति इन पार्टियों के रवैये पर भी टिप्पणी की।
ओम प्रकाश राजभर ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी को आंबेडकर के नाम से चिढ़ थी और उन्होंने आंबेडकर पार्क को गिरा कर शौचालय बनाने की बात की थी। साथ ही उन्होंने कांग्रेस को आपातकाल के दौरान पत्रकारों और नेताओं को जेल भेजने का दोषी ठहराया।
राजभर जाति से जुड़े हनुमान जी के बयान पर विवाद हो सकता है, क्योंकि यह धार्मिक दृष्टिकोण से अलग-अलग विचारधाराओं के बीच मतभेद पैदा कर सकता है। इस प्रकार के बयानों से सामाजिक और धार्मिक संवेदनाएं प्रभावित हो सकती हैं।