नई दिल्ली: bajrang dal ki sthapna kab hui कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जनता से वादा किया है कि अगर पार्टी चुनाव जीतती है तो बजरंग दल पर बैन लगा दिया जाएगा। कांग्रेस ने इस वादे को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया है। कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी होते ही सियासी गलियारों में बवाल मच गया। कर्नाटक के साथ-साथ कांग्रेस के इस वादे की आंच अन्य राज्यों में दिखाई देने लगी। वहीं, कांग्रेस के इस वादे का असर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों में दिखने लगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इन राज्यों में भी आगामी दिनों में चुनाव होना है। लेकिन क्या आपको पता है कि बजरंग दल का उदय कब हुआ? कौन हैं बजरंग दल के संस्थापक? क्या है बजरंग दल का उद्देश्य?
bajrang dal ki sthapna kab hui बजरंग दल (Bajrang Dal) की स्थापना उत्तर प्रदेश में अक्टूबर 1984 में हुई थी और यह विश्व हिंदू परिषद (VHP) की युवा इकाई है। विनय कटियार (Vinay Katiyar) को बजरंग दल का संस्थापक माना जाता है, जो लोकसभा और राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं। बजरंग दल की स्थापना राम-जानकी रथ यात्रा (Ram Janki Rath Yatra) को सुरक्षा देने के लिए की गई थी।
हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा के आधार पर स्थापित बजरंग दल (Bajrang Dal) का मुख्य उद्देश्य था हिंदू समाज को संरक्षित करना और हिंदू धर्म और संस्कृति को बचाना है। बजरंग दल अक्सर हिंदू धर्म से जुड़ी मुद्दों पर अपने विचारों को प्रगट करता है और हिंदू समुदाय के उद्धार के लिए संघर्ष करता है। बजरंग दल का नारा ‘सेवा, सुरक्षा और संस्कृति’ है। बजरंग दल के मुख्य उद्देश्यों में अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण, मथुरा कृष्ण जन्मभूमी मंदिर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का प्रसार शामिल है।
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बजरंग दल (Bajrang Dal) का नाम बजरंगबली के नाम पर रखा गया था। यहीं वजह है कि कांग्रेस के घोषणापत्र जारी करने के बाद से ही कर्नाटक की राजनीति बजरंगबली के इर्द-गिर्द घूम रही है। बीजेपी ने अब कर्नाटक में बजरंगदल पर बैन को बजरंगबली के अपमान से जोड़ दिया है। बीजेपी बजरंग दल पर बैन के मुद्दे को हर स्तर पर उठा रही है। फिर चाहे वो पीएम मोदी हों या फिर पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता बीजेपी ने बजरंगबली को प्रचार का प्रमुख मुद्दा बना लिया है।
कांग्रेस ने अब कर्नाटक में बजरंग दल (Bajrang Dal) पर बैन लगाने का वादा किया है, लेकिन इससे 31 साल पहले कांग्रेस इस पर एक बार बैन लगा भी चुकी है। 6 दिसंबर 1992 को जब भीड़ ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहा दिया था, तब कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार ने बजरंग दल के अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS), विश्व हिन्दू परिषद (VHP), इस्लामिक सेवक संघ और जमात-ए-इस्लामी हिंद पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, प्रतिबंध के 6 महीने में ही Unlawful Activities (Prevention) ट्रिब्यूनल ने बजरंग दल से प्रतिबंध हटा दिया था।