(अहमद नोमान)
नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी के यमुनापार में फरवरी 2020 में हुए दंगों की चपेट में बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र के भी कई इलाके आए थे जहां जान-माल का खासा नुकसान हुआ था, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि सांप्रदायिक हिंसा के बाद पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव में दंगों के बजाय काम और सुविधाओं का मुद्दा हावी है।
स्थानीय लोग कहते हैं कि हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण थी, जिसे लोग अब भूल चुके हैं तथा इसका चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
शाहदरा जिले की बाबरपुर सीट से दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री और सत्तारूढ़ दल आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश संयोजक गोपाल राय लगातार 2015 से विधायक गोपाल हैं और पार्टी ने पांच फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए एक बार फिर उनपर भरोसा जताया है।
बीते दो चुनाव से इस सीट पर शिकस्त का सामना कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार अनिल वशिष्ठ को टिकट दिया है। कांग्रेस ने सीलमपुर के ‘आप’ के पूर्व विधायक हाजी इशराक खान को बाबरपुर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।
दंगों में इस सीट के कबीर नगर, बाबरपुर, कर्दमपुरी, विजय पार्क व सुभाष मोहल्ला जैसे इलाके प्रभावित थे, जहां कई दुकानों व गाड़ियों को आग के हवाले किया गया था और कई लोगों की मौत भी हुई थी।
बाबरपुर इलाके में रहने वाले 48 वर्षीय प्रेम ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि जो हुआ था वो दुर्भाग्यपूर्ण था और लोग इसे भूल गए हैं तथा इसका चुनाव पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि लोग काम और सुविधाओं को देखकर वोट करेंगे।
कुछ यही राय विजय पार्क में रहने वाले कयूम ने भी व्यक्त की। उनका कहना था कि चुनाव में मुद्दा काम है न कि दंगे।
उन्होंने कहा कि यह दंगे होने थे, हो गए और यह मुद्दा अब खत्म हो चुका है और लोग अपनी जिंदगियों में आगे बढ़ चुके हैं और “हम काम और सुविधाओं को देखकर वोट देंगे”।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, 24 फरवरी 2020 की सुबह हिंसा की शुरुआत सबसे पहले कबीर नगर-बाबरपुर चौक से हुई थी जिसने बाद में दंगों का रूप ले लिया।
उत्तर पूर्वी पुलिस जिले में हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हो हुई थी तथा 700 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।
बहरहाल, स्थानीय लोगों के मुताबिक, क्षेत्र सीवर का पानी सड़कों पर बहना, सड़कों पर गड्ढे, गंदा पेय जल, यातायात जाम और आवारा कुत्तों के आतंक जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।
बलबीर नगर एक्सटेंशन इलाके में रहने वाले चिराग जैन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि क्षेत्र में कुत्तों का बहुत आतंक है तथा उनकी संख्या काफी बढ़ गई है और आए दिन कुत्ते किसी न किसी को काटते रहते हैं, लेकिन इसकी शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है।
उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा गलियों की हालत खराब है, सड़कों पर गड्ढे भरे पड़े हैं और सीवर ओवर फ्लो हो जाते हैं जिससे गंदा पानी सड़कों पर आ जाता है।
बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र में बलबीर नगर के अलावा, सुभाष मोहल्ला, कर्दमपुरी, कबीरनगर, विजय पार्क, न्यू जाफराबाद और जनता मजदूर कॉलोनी समेत अन्य इलाके आते हैं।
स्थानीय मतदाता नईम अहमद ने शराब की दुकानें खुलने को बड़ी समस्या बताया। उनके मुताबिक, विजय पार्क इलाके में दो साल पहले 200 मीटर से भी कम दूरी पर शराब की दो दुकानें खुल गईं जिस वजह से सड़क पर जाम लगता है तथा कानून-व्यवस्था की भी समस्या पैदा होती है।
उन्होंने कहा कि इलाके में पेय जल की स्थिति भी ठीक नहीं है और पानी अक्सर गंदा आता है जिस वजह से पानी खरीदकर पीना पड़ता है।
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन कार्यालय के मुताबिक, इस सीट पर 2.16 लाख से ज्यादा मतदाता है जिनमें से 1.14 लाख से अधिक पुरुष तथा 1.01 लाख महिला मतदाता हैं। वहीं तृतीय लिंग के 15 मतदाता भी क्षेत्र में हैं।
इस क्षेत्र के राजनीतिक समीकरणों पर निगाह डालें तो दिल्ली नगर निगम के चार वार्डों में से सिर्फ एक पर ही ‘आप’ का कब्जा है जबकि दो पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और एक पर कांग्रेस का कब्जा है।
हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव के विधानसभा वार परिणाम की रिपोर्ट देखें तो उत्तर पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट के तहत आने वाले 10 विधानसभा क्षेत्रों में शामिल बाबरपुर में कांग्रेस के उम्मीदवार कन्हैया कुमार को 75,047 वोट मिले थे जबकि भाजपा के मनोज तिवारी को 59,132 मत हासिल हुए थे। कांग्रेस और ‘आप’ ने संसदीय चुनाव गठबंधन के तहत लड़ा था।
साल 1993 में विधानसभा के गठन के बाद से इस सीट से चार बार 1993, 1998, 2008 और 2013 में भाजपा के नरेश गौड़ विधायक रहे जबकि 2003 में कांग्रेस के विनय शर्मा और 2015 व 2020 में ‘आप’ के राय विधानसभा पहुंचे।
भाषा नोमान प्रशांत
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