नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना ने सामाजिक सुरक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि के जरिए लोगों की जेब से होने वाले खर्च में उल्लेखनीय कमी लाने में निर्णायक भूमिका निभाई है और 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत दर्ज की गई है। यह जानकारी शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा (2024-25) में दी गई है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने भारत की सबसे कमज़ोर आबादी के निचले 40 प्रतिशत लोगों को स्वास्थ्य कवरेज प्रदान कर स्वास्थ्य सेवा में क्रांति ला दी है।
यह 12 करोड़ से अधिक परिवारों या लगभग 55 करोड़ लोगों को कवर करता है और यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जो अस्पताल में भर्ती होने पर प्रति परिवार पांच लाख रुपये तक का वार्षिक लाभ प्रदान करती है।
इसमें कहा गया है कि स्वास्थ्य असमानताओं को दूर करने के लिए शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011 के आधार पर आबादी के सबसे गरीब तबके को प्राथमिकता देती है तथा समग्र और ज़रूरत-आधारित दृष्टिकोण अपनाती है।
समीक्षा में कहा गया है कि यह पहल सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है, जो यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी पीछे न छूटे। इसके साथ ही कहा गया है कि एक जनवरी 2025 तक 36.36 करोड़ से ज़्यादा आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि 13,352 निजी अस्पतालों सहित करीब 30,000 अस्पताल इस योजना के तहत सूचीबद्ध हैं। इसके साथ ही 49 प्रतिशत कार्डधारक महिलाएं हैं और अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों में 48 प्रतिशत महिलाएं हैं।
पिछले साल 11 सितंबर को इस योजना का दायरा बढ़ा दिया गया और 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को इसमें शामिल करने के लिए मंज़ूरी दी गई, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।
भाषा अविनाश वैभव
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