नई दिल्ली: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में अब फैसले का वक्त आ गया है। सुप्रीम कोर्ट आज सुबह 10 बजे अपना फैसला सुनाएगा। वर्षों से चले आ रहे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट लगातार 40 दिन की लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा। मामले में सुनवाई 5 जाजों की पैनल कर रही है, आइए जानते हैं कौन हैं ये 5 जज?
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जस्टिस रंजन गोगोई
जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं। सीजेआई बनने से पहले गोगोई गुवाहाटी हाई कोर्ट में जज के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को बतौर मुख्य न्यायधीश पदभार ग्रहण किया था। 8 नवंबर, 1954 को जन्मे जस्टिस रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी। उन्होंने शुरुआत गुवाहाटी हाई कोर्ट से की, 2001 में गुवाहाटी हाई कोर्ट में जज भी बने। इसके बाद वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में बतौर जज 2010 में नियुक्त हुए, 2011 में वह पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 23 अप्रैल, 2012 को जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के जज ब बतौर चीफ जस्टिस अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक मामलों को सुना है, जिसमें अयोध्या केस, NRC, जम्मू-कश्मीर पर याचिकाएं शामिल हैं।
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2. जस्टिस एसए बोबड़े
सीजेआई रंजन गोगोई के बाद उनकी जगह लेने वाले जस्टिस एसए बोबड़े भी इस पैनल में शामिल हैं। इससे पहले बोबड़े मुंबई और मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के जज रह चुके हैं। बता दें उन्होंने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
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3. जस्टिस अशोक भूषण
उत्तर प्रदेश के जौनपुर से आने वाले जस्टिस अशोक भूषण सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले केरल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे। साल 1979 में यूपी बार काउंसिल का हिस्सा बने, जिसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की। इसके अलावा उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में कई पदों पर काम किया और 2001 में बतौर जज नियुक्त हुए। 2014 में वह केरल हाई कोर्ट के जज नियुक्त हुए और 2015 में चीफ जस्टिस बने।
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4. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
सुप्रीम कोर्ट बतौर जज अपनी सेवाएं देने से पहले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे। वे बॉम्बे हाई कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज रह चुके हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दुनिया की कई बड़ी यूनिवर्सिटियों में लेक्चर दे चुके हैं। बतौर जज नियुक्त होने से पहले वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। वह सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता समेत कई बड़े मामलों में पीठ का हिस्सा रह चुके हैं।
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5. जस्टिस एस. अब्दुल नजीर
अब्दुल नज़ीर ने 1983 में वकालत की शुरुआत की। उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की, बाद में वहां बतौर एडिशनल जज और परमानेंट जज कार्य किया. 17 फरवरी, 2017 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला।
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