अयोध्या मामले पर मुस्लिम पक्ष फिर से कोर्ट के दरवाजे खटखटाने की तैयारी कर रहे है। मिल रही जानकारी के मुताबिक बाबरी बरसी पर 6 दिसंबर को जमीयत-उलेमा-ए-हिंद अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है।
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जमीयत उलेमा हिन्द राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक के निष्कर्ष में अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा था कि कोर्ट का फैसला समझ से परे है. कानून और न्याय की नजर में वहां बाबरी मस्जिद थी और है और कयामत तक मस्जिद ही रहेगी फिर चाहे उसको कोई भी नाम या स्वरूप क्यों न दे दिया जाए।
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आपको बता दें कि इस फैसले की समीक्षा के लिए एक पैनल बनाया है जो वकीलों और शिक्षाविदों से तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर निष्कर्ष निकालेगा की पुनर्विचार याचिका दाखिल करना है या नहीं। वहीं, कोर्ट के फैसले को लेकर कहा है कि कोर्ट का फैसला न तो सबूतों के आधार पर सटीक बैठता है और न ही किसी तर्क के हिसाब से उचित है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को आयोध्या मामले में फैसला राम मंदिर के पक्ष सुनाया है।
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8 hours ago