महाकुम्भ नगर, 10 जनवरी (भाषा) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी विवादित ढांचे को मस्जिद नहीं बोलना चाहिये। किसी की भी आस्था को ठेस पहुंचाकर वहां मस्जिद जैसा ढांचा खड़ा करना इस्लाम के सिद्धांतों के भी खिलाफ है।
यहां महाकुम्भ मेला क्षेत्र में ऐरावत घाट पर एक निजी चैनल के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे स्थान पर किसी भी प्रकार की होने वाली इबादत खुदा को भी मंजूर नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि जब खुदा को मंजूर नहीं होती है तो बेकार में वहां क्यों इबादत की जाए, वहीं इस्लाम में उपासना के लिए एक ढांचा खड़ा करना आवश्यक नहीं है जबकि यह सनातन धर्म में आवश्यक है।
महाकुम्भ की भूमि को वक्फ की जमीन कहे जाने के मुद्दे पर योगी आदित्यनाथ ने कहा, “प्रयागराज की इस धरती पर हजारों वर्षों से कुम्भ का आयोजन होता आ रहा है। इसके बाद भी उसको कोई वक्फ बोर्ड की जमीन बोल दे, तो बस यही कहना है कि ये वक्फ बोर्ड है या भू माफिया का बोर्ड है।”
उन्होंने कहा कि इस तरह की दुष्प्रवृत्ति पर रोक लगनी ही चाहिए और हम रोक लगाएंगे। कहीं भी, कोई ऐसी जमीन जो सार्वजनिक उपयोग में होगी, हिंदू आस्था से जुड़े पवित्र स्थलों की होगी या सरकार की होगी, वहां इस प्रकार के किसी भी भू माफिया बोर्ड को कब्जा नहीं करने देंगे।
मुख्यमंत्री ने 2013 के कुम्भ का उल्लेख करते हुए कहा, “वर्ष 2017 के पहले यही आयोजन गंदगी का पर्याय बनता था और अव्यवस्था होती थी। 2013 के महाकुम्भ में मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्नान करने आए थे और गंदगी देख दुखी मन से कहा था कि क्या यही गंगा है? और वापस चले गये थे।”
मुख्यमंत्री ने महाकुम्भ में मुस्लिमों के प्रवेश को लेकर कहा कि जिनके मन में भारतीयता और भारत की सनातन परंपरा के प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव है, वो यहां पर आएं। लेकिन अगर कोई कुत्सित मानसिकता के साथ यहां आता है तो उसके साथ अन्य तरीके से भी व्यवहार हो सकता है।
उन्होंने कहा, “जिन्होंने किसी कालखंड में दबाव में आकर इस्लाम स्वीकार किया था, लेकिन उनके वंशज भारत की परंपरा पर आज भी गौरव की अनुभूति करते हैं और अपने गोत्र को भारत के ऋषियों के नाम से जोड़कर देखते हैं यदि वे लोग संगम में स्नान करने के लिए आते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। उनका स्वागत है।”
संभल की जामा मस्जिद को लेकर किए गए एक सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे पुराणों में 5,000 वर्ष पहले से ही उल्लेख है कि संभल में हरि विष्णु का दसवां अवतार कल्कि के रूप में होगा। संभल में आज जो भी देखने को मिल रहा है, वह सभी सनातन धर्म से जुड़ा है। पांच हजार वर्ष पहले धरती पर इस्लाम नहीं था। उस समय केवल सनातन धर्म ही था। उस समय जब इस्लाम था ही नहीं, तो जामा मस्जिद का उल्लेख कैसे होगा।’’
उन्होंने कहा कि ‘आइन-ए-अकबरी’ में कहा गया है कि 1526 में श्री हरि विष्णु मंदिर को तोड़कर ढांचा खड़ा किया गया। इस गलती को स्वीकार किया जाना चाहिये। यह देश मुस्लिम लीग की मानसिकता से नहीं चलेगा बल्कि भारत की आस्था के अनुरूप चलेगा।
भाषा राजेंद्र
संतोष
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