नई दिल्ली। देशभर में करवाचौथ कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। आज के दिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं। रात में चांद को देखकर पत्नी छलनी से अपने पति को निहारती हैं। वैवाहिक जीवन की सुख और शांति की कामना कर चंद्रमा की पूजा करती हैं।
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महिला व्रत रखकर भगवान गणेश, मां गौरी और चंद्रमा की उपासना करती हैं। चंद्रमा को आमतौर पर आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। इसलिए चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और पति की लम्बी आयु की कामना करती हैं।
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केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही स्त्रियां ये व्रत रख सकती हैं। ये व्रत निर्जल या केवल जल ग्रहण करके ही रखना चाहिए। व्रत रखने वाली कोई भी महिला काला या सफेद वस्त्र कतई न पहनें। इस व्रत के लिए लाल वस्त्र सबसे उत्तम माना गया है, पीला वस्त्र भी पहना जा सकता है।
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आज के दिन महिलाओं को पूरे 16 श्रृंगार करने चाहिए। अगर कोई महिला अस्वस्थ है तो उसकी जगह उसके पति ये व्रत कर सकते हैं। व्रत की कथा पूरे मन से सुनें और इस दौरान किसी दूसरे से बातें न करें। चांद देखने के बाद मां गौरी की पूजा करें और भगवान को पूरी-हलवा के प्रसाद का भोग लगाएं।
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करवाचौथ पर पूजा का सही समय
सुबह 06:23 बजे से व्रत का मुहूर्त शुरू हो चुका है। शाम 07:16 बजे तक व्रत चलेगा। पूजा का समय शाम 05:50 बजे से 07:05 बजे के बीच है। 08:16 के करीब चंद्र उदय होगा। उगते हुए चंद्रमा को देखने के बाद अर्घ्य दें। अर्घ्य के बाद शिव परिवार की पूजा करें। पूजा के बाद व्रत खोलें. व्रत खोलने के वक्त जीवनसाथी मौजूद रहें। आज दान ना कर पाएं तो कल जरूर करें।
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