आतिशी के पार्टी विधायकों की खरीद फरोख्त वाले बयान से भाजपा नेता की कोई मानहानि नहीं हुई : अदालत

आतिशी के पार्टी विधायकों की खरीद फरोख्त वाले बयान से भाजपा नेता की कोई मानहानि नहीं हुई : अदालत

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  • Publish Date - January 28, 2025 / 11:16 PM IST,
    Updated On - January 28, 2025 / 11:16 PM IST

नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता की ओर से मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ दायर मानहानि का मामला मंगलवार को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि अगर आतिशी ‘‘भाजपा पर ‘आप’ विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश के लिए भारी रकम की पेशकश करने का आरोप लगाती हैं’’, तो इससे ‘‘भाजपा के मीडिया प्रमुख की कोई मानहानि नहीं होती।’’

विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे हथकंडे राजनीतिक रणनीति का ‘हिस्सा’ हो सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अदालत ‘व्हिसलब्लोअर’ या छोटे राजनीतिक दलों के प्रतिद्वंद्वियों को खामोश करने के इस तरह के प्रयासों को स्वीकार करके या इन पर कार्रवाई करके अभिव्यक्ति की आजादी को हतोत्साहित करने में भागीदार नहीं बन सकती है।

न्यायमूर्ति गोगने ने कहा, ‘इसलिए, अगर आम आदमी पार्टी (आप) की नेता भाजपा पर उनके विधायकों को भारी रकम देकर खरीदने की कोशिश करने का आरोप लगाती हैं, तो इससे भाजपा के मीडिया प्रमुख की कोई मानहानि नहीं होती।’

न्यायमूर्ति गोगने ने कहा कि आतिशी को मानहानि के अपराध के लिए तलब करना अभिव्यक्ति की आजादी और सरकारी पद की जवाबदेही को कुचलने के समान होगा।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता तभी फलेगी-फूलेगी, जब भारतीय संविधान के तहत प्रदत्त बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान की जाए।

अदालत ने कहा कि आरोप राजनीतिक भाषण की स्वतंत्रता का हिस्सा थे, जिसमें राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं या आम नागरिकों द्वारा अन्य राजनीतिक संगठनों के खिलाफ आमतौर पर की जाने वाली विभिन्न प्रकार की आलोचनाएं, आरोप और आक्षेप शामिल होते हैं।

आदेश में कहा गया है, ‘यह एक सामान्य और समसामयिक घटना है कि सभी तरह के नेता नियमित रूप से एक-दूसरे पर किसी नामित उद्योगपति या औद्योगिक घराने के साथ होने या यहां तक ​​कि ऐसी संस्थाओं से ट्रकों में धन प्राप्त करने का आरोप लगाते हैं। यहां तक ​​कि जैसे ही चुनावों का चक्र एक संदर्भ में शांत होता है, वैसे ही यह दूसरे संदर्भ में फिर से शुरू हो जाता है।’

अदालत ने कहा कि सांसदों या विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप भी एक स्पष्ट कारक हैं।

यह आदेश आम आदमी पार्टी (आप) की वरिष्ठ नेता आतिशी द्वारा मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर आया। मजिस्ट्रेट अदालत ने भाजपा की दिल्ली इकाई के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर की शिकायत पर आतिशी को समन जारी किया था।

अदालत ने कहा कि आतिशी एक ‘व्हिसलब्लोअर’ की भूमिका में थीं और यह नहीं माना जा सकता कि उन्होंने भाजपा को बदनाम किया। उसने कहा कि कपूर की शिकायत ‘आपराधिक जांच को विफल करने और अभिव्यक्ति की आजादी के साथ-साथ जानने के अधिकार को दबाने का प्रयास’ थी।

कपूर ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि आतिशी ने पिछले साल 27 जनवरी को और फिर दो अप्रैल को भाजपा के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए थे कि पार्टी ‘आप’ के विधायकों से संपर्क कर रही है और पाला बदलने के लिए उन्हें 20-25 करोड़ रुपये की पेशकश कर रही है।

शिकायत में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी आरोपी बनाया गया था। हालांकि, मजिस्ट्रेट अदालत ने 28 मई 2024 को पारित आदेश में कहा था कि केजरीवाल के खिलाफ सुनवाई के लिए पर्याप्त आधार नहीं मिला है।

न्यायमूर्ति गोगने ने कहा कि आतिशी ने केजरीवाल के ट्वीट के आधार पर संवाददाता सम्मेलन बुलाया था। उन्होंने कहा, ‘यह काफी चौंकाने वाली बात है कि जिन आरोपों में केजरीवाल को तलब न किए जाने का फैसला लिया गया, उन्हीं आरोपों को दोबारा पोस्ट किए जाने पर उनकी सहयोगी आतिशी को समन जारी कर दिया गया।’

उन्होंने कहा कि इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात है कपूर का रुख, जिन्होंने केजरीवाल को तलब न करने के फैसले को चुनौती नहीं दी।

न्यायाधीश ने कहा कि समन-पूर्व साक्ष्य आतिशी को आरोपी के रूप में तलब करने के लिए पर्याप्त आधार प्रस्तुत नहीं करते हैं।

न्यायमूर्ति गोगने ने कहा, ‘आतिशी की ओर से ट्वीट और संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से लगाए गए आरोप एक आपराधिक कृत्य का खुलासा करने और गुण-दोष आधारित जांच की मांग करने की प्रकृति के थे। आतिशी की भूमिका व्हिसलब्लोअर की थी और यह नहीं माना जा सकता कि उन्होंने भाजपा को बदनाम किया।’

अदालत ने भाजपा की आधिकारिक प्रतिक्रिया पर भी गौर किया, जो पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की दिल्ली पुलिस आयुक्त से की गई शिकायत से साफ होती है, जिसमें आतिशी द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी।

न्यायमूर्ति गोगने ने कहा, ‘आतिशी की ओर से लगाए गए आरोप राजनीतिक भ्रष्टाचार के संबंध में अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के इस्तेमाल के समान हैं और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 के तहत मानहानि नहीं करते। आतिशी के उक्त आरोप चुनावी बांड मामले और उच्च न्यायालय के अन्य फैसलों में स्वीकृत नागरिकों के वोट के अधिकार के एक हिस्से के रूप में जानने के अधिकार को भी सक्रिय करते हैं।’

अदालत ने कहा कि कपूर यह स्थापित करने में विफल रहे कि सड़क पर चलने वाला व्यक्ति तो दूर की बात है, आम भाजपा कार्यकर्ता भी उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में देखता हो, जो इस तरह की स्थिति में हो और जिसके पास ऐसी शक्ति हो कि किसी अन्य राजनीतिक दल के नेता उस पर खरीद-फरोख्त के आरोप लगा सकें, जिससे उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचे।

भाषा पारुल वैभव

वैभव