आतिशी ने डीडीसीडी के गैर-आधिकारिक सदस्यों को हटाने के उपराज्यपाल के आदेश को ‘अमान्य’ बताया

आतिशी ने डीडीसीडी के गैर-आधिकारिक सदस्यों को हटाने के उपराज्यपाल के आदेश को 'अमान्य' बताया

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  • Publish Date - July 2, 2024 / 10:59 PM IST,
    Updated On - July 2, 2024 / 10:59 PM IST

नयी दिल्ली, दो जुलाई (भाषा) दिल्ली की योजना मंत्री आतिशी ने निर्देश दिया कि दिल्ली संवाद एवं विकास आयोग (डीडीसीडी) के गैर-आधिकारिक सदस्यों को हटाने का सेवा विभाग और उपराज्यपाल वीके सक्सेना का आदेश ‘स्पष्ट अधिकार क्षेत्र की कमी के कारण अमान्य है।’

आतिशी ने कहा कि उपराज्यपाल के आदेश के बावजूद गैर-आधिकारिक सदस्य अपनी भूमिका में बने रहेंगे।

उपराज्यपाल ने पिछले महीने डीडीसीडी को अस्थायी रूप से भंग करने और इसके गैर-आधिकारिक सदस्यों को तब तक हटाने की मंजूरी दी थी, जब तक कि इसके कार्य विशेषज्ञों की स्क्रीनिंग और चयन के लिए एक तंत्र विकसित नहीं हो जाता।

आतिशी द्वारा जारी आदेश प्रधान सचिव (योजना), प्रधान सचिव (सेवाएं) और मुख्यमंत्री के विशेष सचिव को भेजा गया है। आतिशी द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, ”यह स्पष्ट है कि सेवा (विभाग का) आदेश और उपराज्यपाल का आदेश सत्ता के दुरुपयोग और अधिकार के दुरुपयोग के स्पष्ट उदाहरण हैं और स्पष्ट रूप से गलत और भ्रामक हैं। सेवा (विभाग का) आदेश और उपराज्यपाल के आदेश में अधिकार क्षेत्र की स्पष्ट कमी है और इसलिए कानून के दायरे में नहीं आते हैं।”

आदेश के मुताबिक, सेवा विभाग के 27 जून 2024 के आदेश और उपराज्यपाल के आदेश को निरस्त घोषित किया जाता है तथा 26 जून 2024 की यथास्थिति बहाल की जाती है।

आदेश में कहा गया कि मंत्री (योजना) की मंजूरी के बिना सेवा (विभाग का) आदेश या उपराज्यपाल के आदेश के अनुसार की गई कोई भी कार्रवाई अवैध मानी जाएगी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

आतिशी ने अपने आदेश में कहा कि डीडीसीडी का गठन दिल्ली की चुनी हुई सरकार यानी मंत्रिपरिषद द्वारा किया गया है।

उन्होंने कहा, ”यह पूरी तरह स्पष्ट है कि गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति सीधे मुख्यमंत्री द्वारा की जाती है उनका कार्यकाल दिल्ली सरकार के कार्यकाल के साथ समाप्त होगा और उन्हें केवल डीडीसीडी के अध्यक्ष यानी मुख्यमंत्री की मंजूरी से ही हटाया जा सकता है।”

आतिशी ने यह भी कहा कि गैर-आधिकारिक सदस्य सेवा विभाग के दायरे में नहीं आते, क्योंकि वे सरकारी कर्मचारी नहीं हैं।

भाषा नोमान जितेंद्र

जितेंद्र