(मोहित सैनी एवं नेहा मिश्रा)
नयी दिल्ली, नौ जनवरी (भाषा) भ्रष्टाचार विरोधी लहर पर सवार होकर राजनीति में प्रवेश करने वाले और नयी दिल्ली विधानसभा सीट से तीन बार विजयी हुए आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण इस बार चुनाव में कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
केजरीवाल धनशोधन संबंधी मामले में जमानत पर रिहा हैं।
आगामी चुनाव में केजरीवाल के सामने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार प्रवेश सिंह वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित की कड़ी चुनौती है। ये दोनों ही दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्रियों के वंशज हैं।
पूर्व सांसद दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल से नयी दिल्ली सीट छीनने का हरसंभव प्रयास करेंगे। यह सीट तीनों नेताओं के लिए प्रतिष्ठा का सवाल मानी जा रही है।
निर्वाचन क्षेत्र के कई निवासियों का मानना है कि इस बार चुनाव में संभवत: कोई पसंदीदा उम्मीदवार नहीं है, इसलिए मुकाबला कड़ा होगा। कुछ अन्य लोगों का दावा है कि इलाके में विकास को जो वादा किया गया था, वह पूरा नहीं हुआ।
गोल मार्केट की निवासी और दुकान की मालिक मोनिका ने कहा, ‘‘इस बार लड़ाई दलों के बीच है। मतदाता पूरी तरह से किसी एक के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि हर पार्टी दूसरों द्वारा किए गए वादों की बराबरी करने की कोशिश कर रही है।’’
अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन के दौरान प्रमुखता से उभरे केजरीवाल एक दशक से अधिक समय से इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।
उनके मुख्य मतदाता आधार में निम्न-मध्यम वर्ग के मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले, ऑटो-रिक्शा चालक आदि शामिल हैं। उनका यह आधार अब भी काफी हद तक बरकरार है। महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा जैसी ‘आप’ की कल्याणकारी योजनाएं मतदाताओं के बीच लोकप्रिय बनी हुई हैं। महिलाओं के लिए 2,100 रुपये मासिक भत्ते जैसे वादों ने भी ध्यान आकर्षित किया है।
ऑटो चालक बृजलाल प्रजापति ने अपना बिजली बिल दिखाते हुए कहा, ‘‘मेरा बिल शून्य है। मैं बिजली के लिए कुछ भी नहीं दे रहा हूं, इसलिए मैं उनसे खुश हूं क्योंकि उन्होंने मेरे जैसे लोगों के लिए कुछ किया है।…’’
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के पुत्र प्रवेश वर्मा को भाजपा की ‘‘व्यापक लोकप्रियता’’ के बल पर जीत का भरोसा है जबकि शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित राजधानी में कांग्रेस की किस्मत बदलने की उम्मीद कर रहे हैं।
संजय बस्ती के निवासी सतीश ने कहा कि विकास के नाम पर जिस भी चीज का प्रचार किया जा रहा है वह दिखावा है।
उन्होंने कहा, ‘‘सड़क जैसे कई मुद्दे हैं। सतही तौर पर तो सबकुछ ठीक लग सकता है, लेकिन एक बार जब आप कॉलोनियों में प्रवेश करते हैं, तो आपको वास्तविकता का पता चलता है। हम जो विकास देखते हैं, वह ज्यादातर शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान हुआ था और तब से चीजें वैसी ही बनी हुई हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस बार भाजपा और कांग्रेस बहुत मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरती दिख रही हैं। यदि वे जीत नहीं भी पाती हैं तो भी वे ‘आप’ के मतदान प्रतिशत में काफी कटौती कर देंगी।’’
गोल मार्केट से शशि पाल ने कहा, ‘‘एक तरह से ऐसा लगता है कि सभी पार्टी मतदाताओं को पैसे देने के वादों से लुभाने की कोशिश कर रही हैं। यह लगभग वोट खरीदने की रणनीति की तरह है।’’
इस सीट पर कुल 109,022 मतदाता हैं, जिनमें 58,950 पुरुष मतदाता और 50,071 महिला मतदाता हैं।
दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए पांच फरवरी को चुनाव होगा तथा मतगणना आठ फरवरी को होगी।
भाषा सिम्मी नेत्रपाल
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